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संबंध पर उद्धरण

मैं जीवन के बाद के जीवन की कल्पना नहीं कर पाता : जैसे ईसाई या अन्य धर्मों के लोग विश्वास रखते हैं और मानते हैं जैसे कि सगे-संबंधियों और दोस्तों के साथ हुई बातचीत जिसे मौत आकर बाधित कर देती है, और जो आगे भी जारी रहती है।

एडवर्ड मुंक

सभी विफल व्यक्ति—विक्षिप्त व्यक्ति, मनोरोगी, अपराधी, शराबी, समस्याग्रस्त बच्चे, आत्महत्या करने वाले, विकृत और वेश्याएँ—इसलिए विफल हैं, क्योंकि उनमें सामाजिक संबंध की कमी है।

अल्फ़्रेड एडलर

स्मरण का संबंध अंधकार से अधिक है।

रघुवीर चौधरी

मैंने कितनी ही बार सोचा है कि क्या व्यक्तियों से संबंध बनाना संभव है, जब किसी के मन में किसी के लिए भी कोई भावना रही हो; अपने माता पिता के लिए भी नहीं। अगर किसी को कभी भी गहराई से प्यार नहीं किया गया, तो क्या उसके लिए सामूहिकता में रहना संभव है? क्या इन सबका मेरे जैसे युद्धप्रिय के ऊपर कोई प्रभाव नहीं रहा? क्या इस सबसे मैं और बंध्य नहीं हुआ? क्या इन सबसे एक क्रांतिकारी के रूप में मेरी गुणवत्ता कम नहीं हुई? मैं जिसने हर चीज़ को बौद्धिकता और शुद्ध गणित के पैमाने पर रख दिया।

अंतोनियो ग्राम्शी

प्रॉपगैंडा आमतौर पर अभिजात्य हितों से बहुत नज़दीक से जुड़े रहते हैं। 1919-20 के ‘लाल डर’ ने दुनिया भर में पहले विश्वयुद्ध के बाद सेल और दूसरे कारख़ानों में चल रहे संघ-निर्माणों को रोकने का काम बहुत अच्छे तरीक़े से किया। इसी तरह ट्रूमन-मैककार्थी के पैदा किए गए ‘लाल डर’ (वामपंथ को अतिवादी बताते हुए लोगों को चेतावनी देना) ने शीतयुद्ध का उद्घाटन करने और युद्ध से जुड़ी एक स्थायी अर्थ-व्यवस्था को खड़ा करने में भारी मदद की… उन्होंने सोवियत संघ से असहमत होने वालों की हालत पर लगातार अपना ध्यान बनाए रखा। यही उन्होंने कम्बोडिया में हो रही दुश्मनों की हत्या और बुल्गारिया से संबंधों के संदर्भ में किया। इससे वियतनाम सिंड्रोम तोड़ने में मदद मिली, सुरक्षा के नाम पर हथियारों की जमाख़ोरी को सही ठहराया जा सका और एक आक्रामक विदेश नीति लागू की जा सकी। और यह सब करके उच्च वर्ग में हो रहे आय के पुनर्वितरण से सबका ध्यान बँटाया जा सका—रीगन की घरेलू आर्थिक नीति की जड़ में यही था।

नोम चोम्स्की

जब हम रिश्तों में दर्द का सामना करते हैं तो हमारी पहली प्रतिक्रिया अक्सर प्रतिबद्धता बनाए रखने के बजाय बंधनों को तोड़ देने की होती है।

बेल हुक्स

अच्छी तरह से प्यार करना केवल रोमांटिक रिश्ते में ही नहीं, सभी सार्थक रिश्तों में ज़रूरी है।

बेल हुक्स

स्त्री और पुरुष में मैं वही प्रेम चाहता हूँ, जो दो स्वाधीन व्यक्तियों में होता है। वह प्रेम नहीं, जिसका आधार पराधीनता है।

प्रेमचंद

रिश्ता आत्म-रहस्योद्घाटन की एक प्रक्रिया है।

ब्रूस ली

मेरा अपनी हस्तलिपि से इकतरफ़ा संबंध है। यह संबंध मुझे अपनी लिपि को दूसरों के बराबर रखने से रोकता है और मुझे उसकी दूसरों की लिपि से तुलना भी नहीं करने देता।

लुडविग विट्गेन्स्टाइन

प्रेम किसी व्यक्ति के साथ संबंधों का नाम नहीं है; यह एक ‘दृष्टिकोण’ है, एक ‘चारित्रिक रुझान’ है—जो व्यक्ति और दुनिया के संबंधों को अभिव्यक्त करता है; कि प्रेम के सिर्फ़ एक ‘लक्ष्य’ के साथ उसके संबंधों को।

एरिक फ़्रॉम

स्त्री उन पुरुषों के साथ फ़्लर्ट करती है, जो उससे विवाह नहीं करते और उस पुरुष के साथ विवाह करती है, जो उसके साथ फ़्लर्ट नहीं करता।

भुवनेश्वर

स्त्री और सब कुछ भूल सकती है, परंतु विवाह के तत्काल बाद जो उसे एकांत-व्यवहार पति के द्वारा मिलता हे वह अमिट होता है।

श्रीनरेश मेहता

इस ज़माने में संबंध सिर्फ़ वे ही निभा सकते हैं जो मूर्ख हैं।

धूमिल

मैं पैसे और शोहरत के मोह से मुक्त होने की कोशिश में हूँ, इसीलिए बहुत से लोग मुझसे दूर भागते रहते हैं।

कृष्ण बलदेव वैद

मैं पुरुष और महिला के बीच के संबंध को हेगेलियन मालिक और दास के संबंध के रूप में वर्णित करती हूँ। जब तक पुरुष काम, प्रसिद्धि, या धन के माध्यम से अपनी यौन मूल्य को बढ़ाने में सक्षम होते रहेंगे, और महिलाएँ केवल अपने शरीर, सुंदरता, और यौवन के माध्यम से शक्तिशाली होती रहेंगी, तब तक कुछ नहीं बदलेगा।

एल्फ्रीडे येलिनेक

समर्पण में निर्वस्त्रता एक मूल्य होती है।

श्रीनरेश मेहता

मैं इसे दो संबंधों के बीच की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी मानता हूँ। प्रत्येक एक-दूसरे के एकांत का प्रहरी हो।

रेनर मारिया रिल्के

जब तक समय अपने अनुकूल हो जाए, तब तक शत्रु को कंधे पर बिठाकर भी ढोना चाहिए, परंतु जब अनुकूल समय जाए तब उसे उसी प्रकार नष्ट कर दे, जैसे घड़े को पत्थर पर पटककर फोड़ दिया जाता है।

वेदव्यास

किसी संबंध से बचने के लिए अभाव जितना बड़ा कारण होता है, अभाव की पूर्ति उससे बड़ा कारण बन जाती है।

मोहन राकेश

किसी मनुष्य का परिचय उससे हुआ तुम्हारा आख़िरी संवाद नहीं, बल्कि वह है जो वह तुम्हारे साथ समूचे रिश्ते में रहा।

रेनर मारिया रिल्के

कुल-संबंध अस्थिर है, विद्या सदा ही विवादपूर्ण है, और धन क्षण में ही नष्ट हो जाने वाला है, अत: इन मोहजनक वस्तुओं पर अभिमान मिथ्या ही है।

क्षेमेंद्र

हमारे अस्तित्व का आधार हमारी वह इच्छा है जिसे हम संबंधों में ढूँढते हैं।

यून फ़ुस्से

वही आदि है और वही अंत है। वही प्रकट है और वही अदृश्य है। जो बाहर है और जो मेरे अंदर है, उसके अतिरिक्त और किसी को मैं नहीं जानता।

मौलाना जलालुद्दीन रूमी