
मैं जीवन के बाद के जीवन की कल्पना नहीं कर पाता : जैसे ईसाई या अन्य धर्मों के लोग विश्वास रखते हैं और मानते हैं जैसे कि सगे-संबंधियों और दोस्तों के साथ हुई बातचीत जिसे मौत आकर बाधित कर देती है, और जो आगे भी जारी रहती है।

स्मरण का संबंध अंधकार से अधिक है।


मेरा अपनी हस्तलिपि से इकतरफ़ा संबंध है। यह संबंध मुझे अपनी लिपि को दूसरों के बराबर रखने से रोकता है और मुझे उसकी दूसरों की लिपि से तुलना भी नहीं करने देता।

स्त्री और पुरुष में मैं वही प्रेम चाहता हूँ, जो दो स्वाधीन व्यक्तियों में होता है। वह प्रेम नहीं, जिसका आधार पराधीनता है।

स्त्री उन पुरुषों के साथ फ़्लर्ट करती है, जो उससे विवाह नहीं करते और उस पुरुष के साथ विवाह करती है, जो उसके साथ फ़्लर्ट नहीं करता।

स्त्री और सब कुछ भूल सकती है, परंतु विवाह के तत्काल बाद जो उसे एकांत-व्यवहार पति के द्वारा मिलता हे वह अमिट होता है।


मैं पैसे और शोहरत के मोह से मुक्त होने की कोशिश में हूँ, इसीलिए बहुत से लोग मुझसे दूर भागते रहते हैं।

मैं पुरुष और महिला के बीच के संबंध को हेगेलियन मालिक और दास के संबंध के रूप में वर्णित करती हूँ। जब तक पुरुष काम, प्रसिद्धि, या धन के माध्यम से अपनी यौन मूल्य को बढ़ाने में सक्षम होते रहेंगे, और महिलाएँ केवल अपने शरीर, सुंदरता, और यौवन के माध्यम से शक्तिशाली होती रहेंगी, तब तक कुछ नहीं बदलेगा।

समर्पण में निर्वस्त्रता एक मूल्य होती है।

मैं इसे दो संबंधों के बीच की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी मानता हूँ। प्रत्येक एक-दूसरे के एकांत का प्रहरी हो।

किसी मनुष्य का परिचय उससे हुआ तुम्हारा आख़िरी संवाद नहीं, बल्कि वह है जो वह तुम्हारे साथ समूचे रिश्ते में रहा।

हमारे अस्तित्व का आधार हमारी वह इच्छा है जिसे हम संबंधों में ढूँढते हैं।