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अँधेरा पर उद्धरण

आँख वाले प्रायः इस तरह सोचते हैं कि अंधों की, विशेषतः बहरे-अंधों की दुनिया, उनके सूर्य प्रकाश से चमचमाते और हँसते-खेलते संसार से बिलकुल अलग हैं और उनकी भावनाएँ और संवेदनाएँ भी बिलकुल अलग हैं और उनकी चेतना पर उनकी इस अशक्ति और अभाव का मूलभूत प्रभाव है।

हेलेन केलर

मुल्ला और मशालची दोनों एक ही मत के हैं। औरों को तो ये प्रकाश देते हैं और स्वयं अंधकार में फँसे रहते हैं।

बुल्ले शाह

हमारी आँखें हैं, इस कारण अंधों के प्रति हमारा कुछ कर्तव्य है। हम अपनी आँखें दिन में एक बार, सप्ताह में एक बार या महीने में एक बार कुछ देर के लिए उन्हें उधार दे दें।

लाला हरदयाल
  • संबंधित विषय : आँख

जानवर इंसानों जितने बुद्धिमान नहीं होते, इसलिए उन्होंने छिपने की कला नहीं सीखी है। लेकिन मनुष्य में और उनमें बुद्धि को छोड़कर बाक़ी सभी चीज़ें समान स्तर की होती हैं। उन्होंने अपनी कुटिल बुद्धि से वितरण की व्यवस्था बनाकर अपने पशुवत कर्मों को छुपाने के लिए सुरक्षित अंधकार पैदा कर लिया है।

रघुवीर चौधरी

जानवर इंसानों जितने बुद्धिमान नहीं होते, इसलिए उन्होंने छिपने की कला नहीं सीखी है। लेकिन मनुष्य में और उनमें बुद्धि को छोड़कर बाक़ी सभी चीज़ें समान स्तर की होती हैं। उन्होंने अपनी कुटिल बुद्धि से वितरण की व्यवस्था बनाकर अपने पशुवत कर्मों को छुपाने के लिए सुरक्षित अंधकार पैदा कर लिया है।

रघुनाथ चौधरी

जीवन में जो सुंदर है, वह पेंटिंग में ख़राब हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि इसमें बहुत अधिक सुंदरता है। एक अच्छी तस्वीर को जिस तरह से चमकना चाहिए, उसके लिए उसमें कुछ बुरा होना आवश्यक है। उसे अँधेरे की आवश्यकता होती है।

यून फ़ुस्से

करुणा और समर्पण के बीच का अंतर प्रेम का सबसे अंधकारमय, सबसे गहरा क्षेत्र है।

ओरहान पामुक

अंधकार मानो अंगों पर लेप कर रहा है। आकाश मानो अंजन बरसा रहा है। इस समय दृष्टि ऐसी निष्फल हो रही है जैसे दुष्ट पुरुषों की सेवा।

भास

अँधेरा ही एक ऐसी चीज़ है जो हर आदमी की शकल को एक बना देती है।

लक्ष्मीकांत वर्मा

घोर अंधकार में जिस प्रकार दीपक का प्रकाश सुशोभित होता है उसी प्रकार दुःख का अनुभव कर लेने पर सुख का आगमन आनंदप्रद होता है किंतु जो मनुष्य सुख भोग लेने के पश्चात् निर्धन होता है वह शरीर धारण करते हुए भी मृतक के समान जीवित रहता है।

शूद्रक

जो लोग इस बात से अनजान हैं कि वे अंधकार में चल रहे हैं, वे कभी भी प्रकाश की तलाश नहीं करेंगे।

ब्रूस ली

इतनी चमकदार रौशनी में, अँधेरे में गुज़रे लंबे समय बाद, जो दिखता है वह सिर्फ़ स्याह और सफ़ेद है, सिर्फ़ रूपरेखाएँ जिनके ख़िलाफ़ पलक झपकाना चाहिए।

चक पैलनिक

स्मरण का संबंध अंधकार से अधिक है।

रघुवीर चौधरी

अँधेरा प्रकाश की ओर आकर्षित होता है, लेकिन प्रकाश को यह पता नहीं होता; प्रकाश को अंधकार को अवशोषित करना चाहिए और इसलिए उसे स्वयं ही समाप्त हो जाना चाहिए।

एडना ओ’ब्रायन

अंधे की लाठी पकड़ने वाला अंधा हो तो दोनों ही गड्ढे में गिरते हैं।

संत तुकाराम

अँधेरे में उजाला होता है, बस उसे ढूँढ़ना होता है।

बेल हुक्स

जब हम मृत्यु और अँधेरे को देखते हैं, तो हम अज्ञात से डरते हैं और कोई बात नहीं है।

जे. के. रोलिंग

रोशनी और परिभाषाओं को फेंक दो, और वह बताओ जो तुम अँधेरे में देखते हो।

वॉलेस स्टीवंस

हम अँधेरे में क्यों चल रहे हैं… चलो वहाँ चलते हैं, जहाँ फूल खिल रहे हैं।

हान कांग

अँधेरे में संगीत दो व्यक्तियों को कितना पास खींच लाता है!

निर्मल वर्मा

अँधेरे में शायद इंसान दबे पैरों अपने अंदर उतरता जाता है, जैसे वह किसी ग़ैर के घर में चोरी के लिए दाख़िल हुआ हो और अपने अंदर से सब कुछ बाहर निकाल लाता है।

मोहन राकेश

अँधेरे की तरह अज्ञान भी सत्य नहीं।

रमण महर्षि
  • संबंधित विषय : सच

अज्ञान अंधकार-स्वरूप है। दीया बुझाकर भागने वाला यही समझता है कि दूसरे उसे देख नहीं सकते, तो उसे यह भी समझ रखनी चाहिए कि वह ठोकर खाकर गिर भी सकता है।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

मार्गरूपी नदियों में अंधकार बह रहा है। गृह-माला तटों के समान प्रतीत हो रही है। दसों दिशाएँ अंधकार में डूबी हुई हैं। अंधकार को मानो नौका से पार करना होगा।

भास

जिनकी विद्या विवाद के लिए, धन अभिमान के लिए, बुद्धि का प्रकर्ष ठगने के लिए तथा उन्नति संसार के तिरस्कार के लिए है, उनके लिए प्रकाश भी निश्चय ही अंधकार है।

क्षेमेंद्र

धर्म आध्यात्मिक परिवर्तन है, एक अंतर्मुखी रूपांतरण है। यह अंधकार से प्रकाश की ओर जाना है, आत्मोद्धारहीनता से आत्मोद्धार की स्थिति में पहुँचना है। यह एक जागरण है. एक प्रकार की पुनर्जन्मता है।

सर्वेपल्लि राधाकृष्णन

जो वेद-ज्ञान से रहित है, वही अंधा है। जो याचक के निरर्थक लिए है, वही शठ है। जो यश-विहीन है, वही मृतक है। जिसकी बुद्धि धर्म में नहीं है, वही शोचनीय है।

क्षेमेंद्र

अज्ञान के अतिरिक्त कोई अंधकार है ही नहीं।

विलियम शेक्सपियर