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बच्चे पर उद्धरण

हिंदी के कई कवियों ने

बच्चों के वर्तमान को संसार के भविष्य के लिए समझने की कोशिश की है। प्रस्तुत चयन में ऐसे ही कवियों की कविताएँ संकलित हैं। इन कविताओं में बाल-मन और स्वप्न उपस्थित है।

हर शिशु इस संदेश के साथ जन्मता है कि इश्वर अभी तक मनुष्यों के कारण शर्मसार नहीं है।

रवींद्रनाथ टैगोर

बच्चे की ज़िंदगी एक लंबी ज़िंदगी है। उसमें एक किताब आकर चली नहीं जानी चाहिए।

रघुवीर सहाय

बच्चे झट से सत्य के आस-पास पहुँच जाते हैं।

स्वदेश दीपक
  • संबंधित विषय : सच

किसी भी दिन मुझे परिपक्व कलाकारों के काम से ज़्यादा बच्चों के चित्रों में दिलचस्पी होती है।

ज्यां मिशेल बस्कवा
  • संबंधित विषय : कला

चंचल-प्रकृति बालकों के लिए अँधे विनोद की वस्तु हुआ करते हैं।

प्रेमचंद

तेरह-चौदह वर्ष के अनाथ बच्चों का चेहरा और मन का भाव लगभग बिना मालिक के राह के कुत्ते जैसा हो जाता है।

रवींद्रनाथ टैगोर

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