दर्द पर उद्धरण
‘आह से उपजा होगा गान’
की कविता-कल्पना में दर्द, पीड़ा, व्यथा या वेदना को मानव जीवन के मूल राग और काव्य के मूल प्रेरणा-स्रोत के रूप में स्वीकार किया जाता है। दर्द के मूल भाव और इसके कारण के प्रसंगों की काव्य में हमेशा से अभिव्यक्ति होती रही है। प्रस्तुत चयन में दर्द विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।
![](https://www.hindwi.org/Content/Images/quote_m.jpg)
जब इंसान अपने दर्द को ढो सकने में असमर्थ हो जाता है तब उसे एक कवि की ज़रूरत होती है, जो उसके दर्द को ढोए अन्यथा वह व्यक्ति आत्महत्या कर लेगा।
![](https://www.hindwi.org/Content/Images/quote_m.jpg)
![](https://www.hindwi.org/Content/Images/quote_m.jpg)
इस सामाजिक व्यवस्था में ही नहीं, एक जीवंत और उल्लसित भावी व्यवस्था में भी ज्ञान का माध्यम सदा कष्ट ही रहेगा।
![](https://www.hindwi.org/Content/Images/quote_m.jpg)
कड़वाहट का गोला जब गले में पिघलता है तो आँखों में आँसुओं की चुभन शुरू हो जाती है।
![](https://www.hindwi.org/Content/Images/quote_m.jpg)
किसी दुःख के परिणाम से कोई ज़हर नहीं खा सकता। यह तो षड्यंत्र होता है। आदमी को बुरी तरह हराने के बाद ज़हर का विकल्प सुझाया जाता है।
![](https://www.hindwi.org/Content/Images/quote_m.jpg)
मेरा काम हमेशा नासाज़ हालात में ही हुआ है, साज़गार हालात में नहीं।
![](https://www.hindwi.org/Content/Images/quote_m.jpg)
अकेलेपन, दुःख और एकांत को जो दार्शनिक जामा पहनाने की आदत है, वह तभी सुंदर और महान लगती है, जब ख़त्म हो जाने का डर न हो।
![](https://www.hindwi.org/Content/Images/quote_m.jpg)
![](https://www.hindwi.org/Content/Images/quote_m.jpg)
दुःख, साथी है सुख का। जीवन की अलग-अलग ऋतुओं में वे साथ नृत्य करते हैं।
![](https://www.hindwi.org/Content/Images/quote_m.jpg)
हमारे घाव हमारी सहनशीलता के स्मरण हैं। जो युद्ध हमने लड़े और जीते, वे उनकी कथाएँ कहते हैं।