कवि को लिखने के लिए कोरी स्लेट कभी नहीं मिलती है। जो स्लेट उसे मिलती है, उस पर पहले से बहुत कुछ लिखा होता है। वह सिर्फ़ बीच की ख़ाली जगह को भरता है। इस भरने की प्रक्रिया में ही रचना की संभावना छिपी हुई है।
हम हर दिशा से कविताओं से घिरे हुए हैं।
विषम समयों में कविता की चुप्पी भी एक चीत्कार की तरह ध्वनित होती रही है। यह चुप्पी केवल कविता की चुप्पी नहीं, एक सामाजिक चेतना की घुटन भरी चीख़ है।
कविता के क्षेत्र में केवल एक आर्य-सत्य है : दुःख है। शेष तीन राजनीति के भीतर आते हैं।
विश्व-बाज़ार विश्व-समाज की नई गतिविधि है और उसमें बहुत कुछ ऐसा हो सकता है जिससे नए ढंग की कविता जन्म ले।
मनुष्य मात्र को इतिहास और राजनीति नहीं एक कविता चाहिए।
कवि वस्तु-स्वभाव के अधीन नहीं है।
कविता के रंग चित्रकला के प्रकृति-रंग नहीं होते।
मेरी कविता की इच्छा और मेरी कविता की शब्दावली, मेरी अपनी इच्छा और मेरी अपनी शब्दावली है।
ये काफ़ी है कि अगर मैं किसी चीज़ का धनी हूँ तो वह उलझनें हैं, न की निश्चिन्त्ताएं।
मैं ऐसा नहीं मानता कि विश्व-बाज़ार कविता को निगल जाएगा और कविता हमेशा के लिए अपना प्रभाव खो देगी।
काव्य में वस्तुओं के गुण या दोष कवि की उक्ति पर ही निर्भर करता है।
सूरज नहीं चाँद तारे संगीत चित्र भी नहीं कविता से भी सुंदर लगता है मनुष्य।
कविता तो एक जीवन को तोड़कर सकल जीवन बनाती है। और जीवन टूटता है, वह कवि का है।
कविता आदमी को मार देती है। और जिसमें आदमी बच गया है, वह अच्छा कवि नहीं है।
जिस किताब में अच्छी कविता होती है, उसके पास दीमकें नहीं फटकतीं।
जिस प्रकार अनेक रंगों में हँसती हुई फूलों की वाटिका को देखकर दृष्टि सहसा आनंद-चकित रह जाती है, उसी प्रकार जब काव्य-चेतना का सौंदर्य हृदय में प्रस्फुटित होने लगता है, तो मन उल्लास से भर जाता है।
कितना अच्छा होता कि जिस संख्या में कवियों के संग्रह छपे बताए जाते हैं, लगभग उतनी ही संख्या में उन्होंने कविताएँ भी लिखी होतीं।
कविता भाषा का शिल्पित रूप है, कच्चा रूप नहीं।
वह लिखो, जिसे तुम जानते हो।
भाषा के पर्यावरण में कविता की मौजूदगी का तर्क जीवन-सापेक्ष है : उसके प्रेमी और प्रशंसक हमेशा रहेंगे—बहुत ज़्यादा नहीं, लेकिन बहुत समर्पित!
यदि मन में शिथिलता, श्रांति या शून्यता हो तो काव्यानुशीलन न करना चाहिए।
कविता एकांत देती है।
कविता विचारहीन नहीं हो सकती, परंतु विचारात्मक प्रतिबद्धता को मैं कविता के लिए अनिवार्य नहीं मानता।
मुझे अपनी कविताओं से भय होता है, जैसे मुझे घर जाते हुए भय होता है।
अच्छा कवि बहुत ज़िद्दी होता है और कविता लिखते समय अपने विवेक और शक्ति के अलावा किसी और को नहीं मानता।
कभी भी व्यक्तिगत दुखबोध की कविता एक अच्छी कविता का मानदंड नहीं हो सकती, वही कविता प्रामाणिक होगी जिसके सरोकार राष्ट्रीय दुखों से जुड़े होंगे।
कविता को राजनीति में नहीं घुसना चाहिए। क्योंकि इससे कविता का तो कुछ नहीं बिगड़ेगा, राजनीति के अनिष्ट की संभावना है।
कविता भाषा का भाषा में स्वराज है।
अपनी एक मूर्ति बनाता हूँ और ढहाता हूँ और आप कहते है कि कविता की है।
भाषा के भीतर कविता की भाषा की अतिगामी प्रकृति कविता की भाषा को ज्ञान की भाषा से अलग करती है।
आज की कविता, बल्कि किसी भी कविता, को सोचने-समझने के लिए पाठकों को अपनी ओर से भी बहुत-कुछ जोड़ना पड़ता है।
कविता के लिए मनुष्य की पक्षधरता के अतिरिक्त मैं किसी अन्य पक्षधरता को आवश्यक नहीं मानता।
कविता राग है। राग माया है। माया और अध्यात्म में वैर है। अतः आध्यात्मिक कविता असंभव है।
कविता में सामाजिक अनुभूति काव्य-पक्ष के अंतर्गत ही महत्त्वपूर्ण हो सकती है।
कवि अपनी विचारधारा को बिना कलात्मक रूप दिए अवाम पर कोई भरपूर प्रभाव नहीं डाल सकता।
कविता क्रांति ले आएगी, ऐसी ख़ुशफ़हमी मैंने कभी नहीं पाली, क्योंकि क्रांति एक संगठित प्रयास का परिणाम होती है, जो कविता के दायरे के बाहर की चीज़ है।
कविता केवल उसी दिन निरस्त हो सकती है, जिस दिन किसी विस्फोटक से मानव-मन से भाषा को उड़ा दिया जाएगा।
…जो कविता का विकास होता है, वो रचना की अपनी शर्तों पर होता है।
अगर कविता एक ‘सामाजिक कार्य’ है (जो कि वह है) तो फिर उसका राजनीतिक-सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों से जुड़ना अनिवार्य ही है।
विचार, अनुभूति और संवेदना—सबका संबंध शब्द से होता है और कविता शब्द है। शब्द—जो कवि के लिए सबसे रहस्यमय वस्तु है।
परोक्ति का अपहरण कवि को ‘अकवि’ बना देता है। इससे यह सर्वथा त्याज्य है।
किसी भी काव्य का अध्ययन करने से पहले आत्म-परीक्षा कर लेनी चाहिए।
जो लोग कविता से निरी कलात्मकता की अपेक्षा करते हैं, वे कविता के वस्तु-सत्य को गौण रखना चाहते हैं।
काव्य करने के पहले कवि का कर्त्तव्य है—उपयोगी विद्या तथा उपविद्याओं का अनुशीलन करना।
कविता लिखना कोई बड़ा काम नहीं, मगर बटन लगाना भी बड़ा काम नहीं। हाँ, उसके बिना पैंट-क़मीज़ बेकार होते हैं।