वर्ष 2025 की ‘इसक’-सूची
ज्ञानरंजन ने अपने एक वक्तव्य में कहा है : ‘‘सूची कोई भी बनाए, कभी भी बनाए; सूचियाँ हमेशा ख़ारिज की जाती रहेंगी, वे विश्वसनीयता पैदा नहीं कर सकतीं—क्योंकि हर संपादक, आलोचक के जेब में एक सूची है।’’
25 दिसम्बर 2024
नए लेखकों के लिए 30 ज़रूरी सुझाव
पहला सुझाव तो यह कि जीवन चलाने भर का रोज़गार खोजिए। आर्थिक असुविधा आपको हर दिन मारती रहेगी। धन के अभाव में आप दार्शनिक बन जाएँगे लेखक नहीं। दूसरा सुझाव कि अपने लेखक समाज में स्वीकृति का मोह छोड़
प्रेम का आईनाख़ाना
सूफ़ी साहित्य का कैनवास इतना विशाल है कि अक्सर तस्वीर का एक हिस्सा देखने में दूसरा हिस्सा छूट जाता है। इस तस्वीर में इतने रंग हैं और रंगों का ऐसा मेल-मिलाप है कि किसी एक रंग को ढूँढ़ना समझना लगभग नामुम
लौट रहा है महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल
महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल—जो संगीत, साहित्य और आध्यात्मिकता का एक अद्भुत संगम है, अपने आठवें संस्करण के साथ 13 दिसंबर से 15 दिसंबर 2024 के बीच वाराणसी के ऐतिहासिक घाटों पर लौट रहा है। यह तीन दिवसीय उत
बेकल उत्साही : मैं ख़ुसरो का वंश हूँ, हूँ अवधी का संत
अवधी में रोमानी कविता की भी एक संवृद्ध परंपरा रही है, जिसकी शुरुआती मिसाल हम अबुल हसन यमीन उद-दीन ख़ुसरो (1253-1325 ई.) के यहाँ देख सकते हैं। उनका एक प्रसिद्ध कथन है कि “मैं हिंदुस्तान की तूती हूँ। अ
मैं पृथ्वी से बिछुड़ गया था : कविता की हवा को ताज़गी से भरता संग्रह
इधर रुस्तम का नया कविता-संग्रह ‘मैं पृथ्वी से बिछुड़ गया था’ (संभावना प्रकाशन) सामने आया है। रुस्तम के काव्य-संसार में प्रवेश से पहले रिलेक्स होना ज़रूरी है, क्योंकि वह जीवन की आपाधापी के कवि नहीं है
धरती पर हज़ार चीज़ें थीं काली और ख़ूबसूरत
इक्कीसवीं सदी की हिंदी कविता की नई पीढ़ी का स्वर बहुआयामी और बहुकेंद्रीय सामाजिक सरोकारों से संबद्ध है। नई पीढ़ी के कवियों ने अपने समय, समाज और राजनीति के क्लीशे को अलग भाष्य दिया है। अनुपम सिंह की क
मैं वही हूँ—‘कोई… मिल गया’ का ‘रोहित’
ऋतिक रोशन ने जब मुझे अपनी ओर अट्रैक्ट किया, उसकी पहली वजह थी यह गाना और उस पर ऋतिक बेहतरीन डांस—“करना है क्या मुझको यह मैंने कब है जाना…” प्रभुदेवा की कोरियोग्राफ़ी और फ़रहान अख़्तर का कैमरा। इस ग
अजंता देव की ताँत के धागों से खींची कविताएँ
अगर कोई कहे कि अपने लिए बस एक ही फ़ेब्रिक चुनो तो मैं चुनूँगी सूती। सूती में भी किसी एक जगह की बुनाई को ही लेने को मजबूर किया तो चुनूँगी—बंगाल; और बंगाल के दसियों क़िस्म की सूती साड़ियों में से भी कोई
आद्या प्रसाद ‘उन्मत्त’ : हमरेउ करम क कबहूँ कौनौ हिसाब होई
आद्या प्रसाद ‘उन्मत्त’ अवधी में बलभद्र प्रसाद दीक्षित ‘पढ़ीस’ की नई लीक पर चलने वाले कवि हैं। वह वंशीधर शुक्ल, रमई काका, मृगेश, लक्ष्मण प्रसाद ‘मित्र’, माता प्रसाद ‘मितई’, विकल गोंडवी, बेकल उत्साही, ज
जामिया में हुआ दिल्ली का पहला ‘हिन्दवी कैंपस कविता’ आयोजन
जामिया मिल्लिया इस्लामिया के FTK-CIT सभागार में, 16 अक्टूबर को ‘कैंपस कविता’ का आयोजन संपन्न हुआ। यह आयोजन रेख़्ता समूह के उपक्रम ‘हिन्दवी’ ने लिटरेरी क्लब, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के सहयोग से किया
जामिया से हो रही है दिल्ली में ‘हिन्दवी कैंपस कविता’ की शुरुआत
‘हिन्दवी उत्सव’ के साथ-साथ हिन्दवी कैंपस कविता भी ‘हिन्दवी’ का एक विशेष आयोजन है—इसके माध्यम से देश के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों के साथ मिलकर वहाँ के छात्रों को साहित्य-सृजन के लिए प्रोत्साहित करने क
पिता और मैं : कविता और माटी
मैं शुरू करना चाहता हूँ तब से—जब से मेरे पिता नवीन सागर ने मेरे आज को देख लिया था और शायद तब ही उन्होंने 27 सितंबर 2024 की शाम उनके नाम के स्टूडियो में ख़ुद पर होने वाले कविता पाठ को भी सुन लिया था।
यों याद किए गए नवीन सागर
गत शुक्रवार, 27 सितंबर को हौज़ ख़ास विलेज, नई दिल्ली में ‘नवीन सागर स्मृति रचना समारोह’ का पहला आयोजन हुआ। मेरी नज़र में बीते कई सालों में हिंदी-संसार में हो रहे आयोजनों में ऐसा कोई आयोजन हुआ या होता
एकतरफ़ा प्यार को लेकर क्या कह गए हैं ग़ालिब
हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और दुनिया में कई ‘सुख़न-वर’ हुए हैं। अच्छे-से-अच्छे हुए हैं और आगे भी होंगे, पर ग़ालिब की इस बात को कोई नहीं नका
25 सितम्बर 2024
जीवन की कविता और कविता का जीवन
सबसे पहले तो यही स्पष्ट कर देना यहाँ ज़रूरी है कि यह उद्भ्रांत की प्रतिनिधि कविताओं का संचयन नहीं है। उनकी प्रतिनिधि व चर्चित कविताओं के कई संकलन इससे पहले ही प्रकाशित हो चुके हैं, उनकी काव्य संचयिता
‘जश्न-ए-फ़रीद काज़मी’ में खेला गया ‘मगध’
गत दिनांक 16 सितंबर 2024 को ‘जश्न-ए-फ़रीद काज़मी’ का आयोजन किया गया। प्रयागराज स्थित स्वराज विद्यापीठ में यह कार्यक्रम शाम 5 बजे शुरू हुआ। यह तीन हिस्सों में संपन्न हुआ : • हमारी यादों में फ़रीद क
नवीन सागर को याद करेंगे कवि-प्रशंसक-प्रियजन
इस शुक्रवार यानी 27 सितंबर 2024 की शाम हौज़ ख़ास विलेज (नई दिल्ली) में हिंदी के एक अनूठे कवि-लेखक नवीन सागर [1948-2000] की स्मृति में एक रचना-समारोह आयोजित किया जा रहा है। इस समारोह में रामकुमार तिवारी
फिर से हो रहा है 'ठेके पर मुशायरा'
नाट्य संस्था साइक्लोरामा अपने नए नाटक ‘ठेके पर मुशायरा’ का एक बार फिर से मंचन करने जा रहा है। यह नाटक 21 सितंबर 2024 को एलटीजी सभागार, मंडी हाउस, नई दिल्ली में खेला जाएगा। इसके पिछले प्रदर्शनों को दर
राजनीतिक संगठनकर्ताओं के बीच मुक्तिबोध
भारतीय आर्थिक ढाँचा एक बहुत बड़ी आबादी को ख़ाली समय की सुविधा ही नहीं देता कि वह साहित्य जैसे विषय को अपने जीवन से जोड़ सके। चिंता : हिंदी के लेखक कई बार सामूहिक तौर पर तो कई बार व्यक्तिगत सीम
रविशंकर उपाध्याय स्मृति युवा कविता पुरस्कार-2025 के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित
रविशंकर उपाध्याय स्मृति संस्थान ने युवा कवि रविशंकर उपाध्याय की स्मृति में प्रत्येक वर्ष दिए जाने वाले पुरस्कार—‘रविशंकर उपाध्याय स्मृति युवा कविता पुरस्कार 2025’ के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित की हैं।
जुमई ख़ाँ ‘आज़ाद’ : बिना काटे भिटवा गड़हिया न पटिहैं
कवि जुमई ख़ाँ ‘आज़ाद’ (1930-2013) अवधी भाषा के अत्यंत लोकप्रिय कवि हैं। उनकी जन्मतिथि के अवसर पर जन संस्कृति मंच, गिरिडीह और ‘परिवर्तन’ पत्रिका के साझे प्रयत्न से जुमई ख़ाँ ‘आज़ाद’ स्मृति संवाद कार्य
12 अगस्त 2024
रवींद्रनाथ ठाकुर के लिए
रवींद्रनाथ ठाकुर के लिए कुछ लेखकों और चित्रकारों ने कविताएँ लिखी थीं। वे सारी कविताएँ और कुछ पत्र ‘द गोल्डन बुक ऑफ़ टैगोर’ में प्रकाशित की गई थीं। यह किताब 1931 में राममोहन पुस्तकालय, कलकत्ता से छपी
हिन्दवी उत्सव के बहाने दुःख ने दुःख से बात की...
‘हिन्दवी’ ने बीते दिनों अपने चार वर्ष पूरे किए। अच्छे-बुरे से परे ‘हिन्दवी’ कभी चर्चा से बाहर नहीं रहा। ‘हिन्दवी’—‘रेख़्ता फ़ाउंडेशन’ का ही उपक्रम है। ‘जश्न-ए-रेख़्ता’ में ख़ूब भीड़ होती है। सवाल यह
हिन्दवी उत्सव की कविता-संध्या : सुंदर, सुखद, अविस्मरणीय
गत चार वर्षों से हो रहे ‘हिन्दवी उत्सव’ की शृंखला का यह तीसरा आयोजन था, जो डिजिटल नहीं बल्कि पाठकों के बीच (साथ) हुआ। ज़ाहिर है, इन वर्षों में ‘हिन्दवी’ ने जिस तरह का मुक़ाम हासिल कर लिया है, उससे इत
इस तरह मना ‘हिन्दवी उत्सव’ 2024
हिंदी साहित्य को समर्पित रेख़्ता फ़ाउंडेशन के उपक्रम ‘हिन्दवी’ की चौथी वर्षगाँठ के मौक़े पर—28 जुलाई 2024 के रोज़, त्रिवेणी कला संगम, मंडी हाउस, नई दिल्ली में ‘हिन्दवी उत्सव’ आयोजित हुआ। ‘हिन्दवी
‘हिन्दवी’ उत्सव में न जा पाए एक हिंदीप्रेमी का बयान
‘हिन्दवी’ अब दूर है। उसके आयोजन भी। जब दिल्ली में था तो एक दफ़ा (लखनऊ में ‘हिन्दवी’ उत्सव के आयोजन पर) सोच रहा था कि लखनऊ में क्यों नहीं हूँ? अब लखनऊ में बैठा सोचता हूँ कि ‘हिन्दवी’ के इस आयोजन के समय
हिन्दी के वैभव की दास्तान वाया ‘हिन्दवी उत्सव’
‘हिन्दवी उत्सव’ का चौथा संस्करण, रविवार 28 जुलाई 2024 को त्रिवेणी कला संगम, मंडी हाउस, नई दिल्ली में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। आइए जानते हैं ‘हिन्दवी उत्सव’ से लौटकर अतिथि-लेखकों ने आयोजन को लेकर क
क्या हुआ ‘हिन्दवी’ उत्सव की कविता-संध्या (में नहीं) से
मैं गए रविवार (28 जुलाई 2024) ‘हिन्दवी’ द्वारा आयोजित कविता-पाठ के कार्यक्रम ‘कविता-संध्या’ सुनने के लिए त्रिवेणी कला संगम (नई दिल्ली) गया था। वहाँ का समाँ देखकर मैं विस्मित रह गया। गंभीर कविता के प्
रेख़्ता फ़ाउंडेशन के उपक्रम ‘हिन्दवी’ के चार साल
हिंदी साहित्य को समर्पित रेख़्ता फ़ाउंडेशन का उपक्रम ‘हिन्दवी’ जल्द ही साहित्य-संसार में अपने चार वर्ष सफलता के साथ पूरे करने वाला है। इस सुखद अवसर पर हम हिंदी कविता और साहित्य से संबद्ध सभी रचनाकारो
‘सोज़’ के तखल्लुस से ग़ज़लें लिखने वाले कांतिमोहन का जाना
लेखक, शिक्षक, विचारक और संगठनकर्ता कांतिमोहन का रविवार, 14 जुलाई को निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 14 जुलाई 1936 को हल्द्वानी, उत्तराखंड में उनका जन्म हुआ। 14 जुलाई 2024 को 88 वर्ष पूरे
15 जुलाई 2024
कविता मुझे कहाँ मिली?
आज कविता लिखना सीखते हुए मुझे तीन दशक से ज़्यादा समय हो गया और अब भी मैं सीख ही रहा हूँ, क्योंकि मेरे अनुभव का निष्कर्ष यह है कि किसी ज़माने में सौरव गांगुली ने जो बात क्रिकेट के लिए कही थी, वह सृजन की
कविता में नाटकीयता की खोज
नाटक केवल शब्दों नहीं, अभिनेता की भंगिमाओं, कार्य-व्यापार और दृश्यबंध की संरचना के सहारे हमारे मानस में बिंबों को उत्तेजित कर हमारी कल्पना की सीमा को विस्तृत कर देते हैं और रस का आस्वाद कराते हैं। जि
कविता की कहानी सुनता कवि
कविता आती है और कवि को आत्मा से शब्द की अपनी यात्रा की दिलचस्प दास्ताँ सुनाने लगती है। कवि के पूछने पर कविता यह भी बताती है कि आते हुए उसने अपने रास्ते में क्या-क्या देखा। कविता की कहानी सुनने का कवि
शांतिनिकेतन में हुआ ‘कैंपस कविता’ का अनूठा आयोजन
विश्व-भारती, शांतिनिकेतन के हिंदी भवन में गई 6 मई को ‘कैंपस कविता’ का अप्रतिम आयोजन संपन्न हुआ। यह आयोजन हिंदी-विभाग और रेख़्ता समूह के उपक्रम ‘हिन्दवी’ के संयुक्त तत्त्वावधान में हुआ। कविता-विरोध
सौ बार मंच पर उतर चुकी एक कविता के बारे में
एक भाषा में कालजयी महत्त्व प्राप्त कर चुकीं साहित्यिक कृतियों के पुनर्पाठ के लिए केवल समालोचना पर निर्भर रहना एक तरह की अकर्मठता और पिछड़ेपन का प्रतीक है। यह निर्भरता तब और भी अनावश्यक है जब आलोचना-पद