प्रेम पर बेला
प्रेम के बारे में जहाँ
यह कहा जाता हो कि प्रेम में तो आम व्यक्ति भी कवि-शाइर हो जाता है, वहाँ प्रेम का सर्वप्रमुख काव्य-विषय होना अत्यंत नैसर्गिक है। सात सौ से अधिक काव्य-अभिव्यक्तियों का यह व्यापक और विशिष्ट चयन प्रेम के इर्द-गिर्द इतराती कविताओं से किया गया है। इनमें प्रेम के विविध पक्षों को पढ़ा-परखा जा सकता है।
08 मई 2024
रवींद्रनाथ ने कहा है कि...
हमारे गाँव में और कुछ हो या न हो, कुछ मिले न मिले... पर रवींद्रनाथ थे। वह थे और वह पूरी तरह से घर के आदमी थे। घरवाले वही होते हैं जिन्हें देखकर भी हम अनदेखा करते हैं, जिन्हें सोचकर भी हम नहीं सोचते य
जिसका अपना कोई रहस्य नहीं होता, उसे दूसरों के रहस्यों में बहुत रुचि होती है
सावधानी का केवल एक क्षण होता है, जहाँ आप रुक सकते हैं। ~~~ अगर मैं आपसे कहूँ कि मानव दौड़ की भाषा ही औसत दर्जे का प्रयास है तो? शब्द, रचनाएँ, साहित्य सब कुछ क्या यह अभिव्यक्ति का सबसे औसत दर्ज