आज का उद्धरण

कवि कह गया है

विषम समयों में कविता की चुप्पी भी एक चीत्कार की तरह ध्वनित होती रही है। यह चुप्पी केवल कविता की चुप्पी नहीं, एक सामाजिक चेतना की घुटन भरी चीख़ है।

रचने वाले यहाँ बसें

अगर आप भी कुछ लिखते हैं, तब यह जगह आपके लिए ही है। अपनी लिखाई हमें भेजिए। ‘हिन्दवी’ पर आपकी रचनाओं का स्वागत है।

आज का रचनाकार

रचनाकार का समय और समय का रचनाकार

प्रयाग शुक्ल

सातवें दशक में उभरे कवि। अनुवाद, कला-आलोचना और संपादन में भी सक्रिय।

और जानिए

हिन्दी भाषा और साहित्य के संरक्षण-संवर्द्धन में हमारा सहयोग करें।

छंद छंद पर कुमकुम

छंद प्रबंध अनेक विधाना

ई-पुस्तकें

हिंदी का किताबघर

हिंदी के नए बालगीत

रमेश तैलंग 

1994

गीतों में विज्ञान

सोम्या 

1993

दोहा-कोश

राहुल सांकृत्यायन 

1957

आकाश-गंगा

मदनमोहन राजेन्द्र 

1972

बाँकीदास-ग्रंथावली

रामनारायण दूगड़ 

1931

थाली भर आशा

इशरत आफ़रीं 

2015

अन्य ई-पुस्तकें
रेख़्ता फ़ाउंडेशन की अन्य वेबसाइट्स

जश्न-ए-रेख़्ता (2022) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

फ़्री पास यहाँ से प्राप्त कीजिए