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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

बिंदुघाटी : क्या किसी का काम बंद है!

 

• जाते-जाते चैत सारी ओस पी गया। फिर सुबह की धरणी में मद महे महुए मिलने लगे। फिर जाते वैशाख वे भी विदा हुए। पाकड़ हों या पीपर, उनके तले गूदों से पटे पड़े हैं। चिड़ियों को चहचहाने के लिए और क्या चाहिए! भरप

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18 मई 2025

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