साहित्य और संस्कृति की घड़ी
साल 1999, एकदिवसीय (वनडे) क्रिकेट वर्ल्ड कप का सेमीफ़ाइनल मैच। फ़ॉर्म में चल रहे ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव वॉ का कैच दक्षिण अफ़्रीका के हर्शेल गिब्स के हाथों से छिटक जाता है। स्टीव वॉ, हर्शेल गिब्स के प
29 जून 2025
• उस लड़की की छवि हमेशा के लिए स्टीफ़न की आत्मा में बस गई, और फिर उस आनंद में डूबा हुआ पवित्र मौन किसी भी शब्द से नहीं टूटा... आप सोच रहे होंगे कि यहाँ किसी आशिक़ की किसी माशूक़ के लिए मक़बूलियत की बा
मुझे तस्वीरें निकालने का बड़ा भारी शौक़ है। ख़ूब तस्वीरें निकालता हूँ उनकी—जो सुंदर लग जाए मन को, जो रमणीक हो, जो मनोरम हो। इसी कारण फूलों की तस्वीरें भी निकालता आया हूँ, लेकिन इस वसंत मैंने फूलों पर ग
सास्त्र सुचिंतित पुनि पुनि देखिअ। —३६, अरण्यकाण्ड, श्रीरामचरितमानस तुलसी की इस पंक्ति का शीर्षक रूप में प्रयोग करते हुए ‘नागरीप्रचारिणी सभा’ द्वारा आचार्य रामचंद्र शुक्ल के पुनर्संस्कारित इतिहास
उल्टी धार के लिए शुक्रगुज़ार होना चाहिए। परेशानियों का शुक्रिया कहना चाहिए। अधम मनुष्यों से दूर रहना चाहिए। कविता में सूक्तियों के बारे में जो सोचते हो, गद्य में अगर सूक्तियाँ बन जाती हों, तो उनको बन
समकालीन हिंदी स्त्री-कविता की परंपरा में अनीता वर्मा सघन संवेदना और ऐन्द्रियबोध की कवि हैं। भाषा, भाव और बिंब के साथ प्रतीकों की अलग आभा उनकी कविताओं को दुर्लभ अर्थ-छवियों से जोड़ती है। परिवार, समाज,
राजकमल प्रकाशन समूह की त्रैमासिक पत्रिका ‘आलोचना’ [अंक-77] ने ‘इक्कीसवीं सदी की हिंदी कविता’ शीर्षक से एक विशेषांक गए दिनों प्रकाशित किया। इस अंक पर साहित्य संसार में काफ़ी बातचीत हुई, जिसे फ़ेसबुकिया
23 जून 2025
दुपहर हो गई थी। मेरा वह साथी अपनी लंबी कविता का कुछ हिस्सा पढ़ाकर वापस लौट आया था। उसने आते ही मुझे फ़ोन किया और लाइब्रेरी से बाहर बुला लिया। आज वह चहक रहा था। उसके चेहरे पर अतिरिक्त उत्साह के निशान स
एक It doesn’t take much to console us, because it doesn’t take much to distress us. The Misery of Man without God (B. Pascal, Pensées) मैं पहली बार बर्फ़ से ढके पहाड़ देख रहा था—वह कुछ और
यदि सरदार पटेल को भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) का संरक्षक माना जाए, तो राजनयिक दल के संदर्भ में वही उपाधि नेहरू पर भी लागू होती है। तथ्य यह है कि जहाँ IAS के पहले बैच की भर्ती स्वतंत्रता से पहले ही हो