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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

18 फरवरी 2025

‘कथा-कला-कलाकारों के साथ रचनात्मकता के संसार में प्रवेश’

‘कथा-कला-कलाकारों के साथ रचनात्मकता के संसार में प्रवेश’

भारत रंग महोत्सव—अभिमंच सभागार में, ऋषिकेश सुलभ के उपन्यास ‘दातापीर’ पर आधारित, कृष्ण समृद्धि द्वारा नाट्यान्‍तरित और रणधीर कुमार द्वारा निर्देशित नाटक ‘स्मॉल टाउन ज़िंदगी’ रागा पटना के कलाकारों द्वार

17 फरवरी 2025

मीरा : ‘प्रेम-प्रेम सब कोई कहे प्रेम न बूझे कोई’

मीरा : ‘प्रेम-प्रेम सब कोई कहे प्रेम न बूझे कोई’

अनंत ऊर्जा-शक्ति से पैदा हुआ जीव अंततः उसी में समा जाता है। सात महत्त्वपूर्ण चक्रों से युक्त मानव देह में जब ऊर्जा का प्रवाह ऊर्ध्व दिशा में होने लगता है, तब व्यावहारिक, सांसारिक और व्यक्तिगत भार जैस

16 फरवरी 2025

रविवासरीय : 3.0 : ‘मेरा दुश्मन बनने में अब वह कितना वक़्त लेगा’

रविवासरीय : 3.0 : ‘मेरा दुश्मन बनने में अब वह कितना वक़्त लेगा’

• प्रशंसा का पहला वाक्य आत्मीय लगता है, लेकिन प्रशंसा के तीसरे वाक्य में प्रशंसा का तर्क भी हो; तब भी उससे बचने का मन करता है, क्योंकि प्रशंसा के दूसरे वाक्य से ही ऊब होने लगती है। • विष्णु खरे की

15 फरवरी 2025

‘द गर्ल विथ द नीडल’ : महायुद्धों के बाद के महायुद्ध!

‘द गर्ल विथ द नीडल’ : महायुद्धों के बाद के महायुद्ध!

स्वीडिश-पॉलिश फ़िल्म डायरेक्टर मैग्नस वॉन हॉर्न अपनी फ़िल्मों के माध्यम से ‘अपराध’ एवं उससे जुड़ी ‘मनोदशा’ को बारीक़ी से समझना चाहते हैं। उन्होंने यह विषय तब चुना जब फ़िल्म-मेकिंग सीखने के लिए वह पोल

14 फरवरी 2025

भाषा के घर में क्या है!

भाषा के घर में क्या है!

भाषा पर बात करते हुए मुख्यतः चार रुझान या रवैये दिखाई देते हैं। • व्युत्पत्ति : शब्द की उत्पत्ति, विकास और परिवर्तन का इतिहास ढूँढ़ना। • विधानवाद (Prescriptivism) :  भाषा के ‘शुद्ध’ या ‘सही’ रू

13 फरवरी 2025

कहानी : लुटेरी तवायफ़ें

कहानी : लुटेरी तवायफ़ें

शादियों का सीज़न आते ही रेशमा तैयारी करना शुरू कर देती। मेकअप से थोड़ा घबराती थी, लेकिन उम्र छुपाने की जद्दोजहद रहती थी हमेशा। चेहरे को कैसे सवारें, क्या करें, क्या न करें—ये सब परपंच उसे समझ नहीं आते।

13 फरवरी 2025

विहान की अलवर-यात्रा : जीवंत रंग प्रस्तुतियाँ

विहान की अलवर-यात्रा : जीवंत रंग प्रस्तुतियाँ

विहान ड्रामा वर्क्स की अलवर यात्रा पर लिखना सिर्फ़ एक यात्रा के बारे में लिखना नहीं, बल्कि विहान की एक महत्त्वपूर्ण और ऐतिहासिक उपलब्धि को रेखांकित करना है। जिसे लिखे बिना उसकी संपूर्णता दर्ज करना सं

12 फरवरी 2025

स्त्रियों के संसार में ही घिरती है रात

स्त्रियों के संसार में ही घिरती है रात

ये उसकी सुबह थी पीठ पर धक्का मारते पुलकित के नन्हें पैर सुबह की अलसाई नींद के गवाह थे। इससे पहले वह इस आनंद में डूबती, भागते समय की हक़ीक़त एक कुशल ग़ोताख़ोर की तरह उसे अप्रतिम सुख की नदी से बाहर

11 फरवरी 2025

अजातशत्रु : आस्था के आगे मौत क्या चीज़ है!

अजातशत्रु : आस्था के आगे मौत क्या चीज़ है!

भारत रंग महोत्सव में के. के. रैना द्वारा निर्देशित और इला अरूण द्वारा अनूदित नाटक ‘अजातशत्रु’ की बेहतरीन प्रस्तुति हुई। यह नाटक का प्रभाव था या फिर के. के. रैना और इला अरूण के नाम का प्रभाव; प्रेक्षा

10 फरवरी 2025

ड्रैगन फ़्रूट, कीवी के ज़माने में सिंघाड़ों का सुख

ड्रैगन फ़्रूट, कीवी के ज़माने में सिंघाड़ों का सुख

शीत की साग-सब्ज़ियों से अटी पड़ी सब्ज़ी मंडियों के बाहर अत्यक्त भाव से बिकते सिंघाड़ों को देखकर जी करुणा से भर आया। ऐसे सरस फल को कैसे इतनी जल्दी बीते दिनों की बात बना हम आगे बढ़ गए। कार्तिक महीने