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बेला

साहित्य और संस्कृति की घड़ी

02 अक्तूबर 2025

‘रामलीला तेरी याद में नैन हुए बेचैन’

‘रामलीला तेरी याद में नैन हुए बेचैन’

नब्बे के दशक के उतरते साल थे। न केबल टीवी गाँव पहुँचा था, न फ़ोन। बिजली पहुँच तो गई थी, पर अक्सर ग़ायब ही रहती थी। न उसके आने का कोई नियम था, न जाने का। लोग भी बिजली पर पूरी तरह आश्रित नहीं थे और न ही

02 अक्तूबर 2025

स्कूली निबंधों में महात्मा गांधी

स्कूली निबंधों में महात्मा गांधी

गांधी-जयंती आ रही है। बचपन में हमारे पाठ्यक्रम का बड़ा अहम हिस्सा रहे हैं बापू। स्कूल में गाय-भैंस, सहेला-सहेली, माता-पिता, नानी-दादी के घर पर बिताई छुट्टियाँ, रेलगाड़ी का सफ़र, बसंत-बरसात आदि की तरह

30 सितम्बर 2025

शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी और ‘फ़ानी बाक़ी’

शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी और ‘फ़ानी बाक़ी’

आज का दिन मेरे महबूब शहर इलाहाबाद के महबूब साहित्यकार और आलोचक शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी की जन्मतिथि है। वह आसमां में चमकते हुए तारों में से एक हैं, जिसे मैं आज के दिन देखना चाहता हूँ। इलाहाबाद के साहित्

30 सितम्बर 2025

लिखने का ठिकाना

लिखने का ठिकाना

उस्ताद का बैठकख़ाना और लिखने का ठिकाना उर्दू के प्रसिद्ध आलोचक और उपन्यासकार शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी के बैठकख़ाने, लाइब्रेरी और पढ़ने की जगह का यह स्केच उनकी नातिन तज़मीन ने अठारह बरस पहले बनाया था।

29 सितम्बर 2025

इलाहाबाद मेरे लिए यूटोपिया में तब्दील होता जा रहा है

इलाहाबाद मेरे लिए यूटोपिया में तब्दील होता जा रहा है

14 सितंबर 2022 कल किसी ने व्हाट्सएप पर एक स्टेटस लगा रखा था। किसी की मृत्यु का। बहुत सुंदर चेहरा था। जवान था। मैंने पूछा : कौन हैं भाई? जवाब आया : शाइर थे! मैंने पूछा : आत्महत्या? जवाब आया : हाँ!

28 सितम्बर 2025

बिंदुघाटी : चेख़व, कहानी और सत्रावसान

बिंदुघाटी : चेख़व, कहानी और सत्रावसान

• किसी वाक्य में क्रिया है तो विराम भी है। यह न हो तो एक और वाक्य कैसे शुरू हो! क्रियाओं और उनके विरामों के बीच ही तो संसार कितने रूप-जाल रच रहा है! मलयज याद आते हैं :  ‘‘डूबने से पहले अंतिम बा

27 सितम्बर 2025

तारकोवस्की का सिनेमा : एक कलाकार की हैसियत से

तारकोवस्की का सिनेमा : एक कलाकार की हैसियत से

बात 14 अगस्त 1986 की है। आन्द्रे तारकोवस्की पेरिस के किसी अस्पताल में मौत से लड़ रहे थे। इधर कान फ़िल्म फ़ेस्टिवल में उनकी उस फ़िल्म की स्क्रीनिंग हो रही थी, जिसे उन्होंने अपने बेटे की नज़्र किया था। यह

26 सितम्बर 2025

अस्सी वाया भाँग रोड बनारस

अस्सी वाया भाँग रोड बनारस

कितना अजीब है किसी घटना को काग़ज़ पर उकेरना। वर्तमान में रहते हुए अतीत की गुफाओं में उतरकर किसी पल को क़ैद कर लेना। उसे अपने हिसाब से जीने पर मजबूर कर देना। मैं कितनी बार कोशिश करता हूँ कि जो घटना बार-ब

25 सितम्बर 2025

बीमार मन स्मृतियों से भरा होता है

बीमार मन स्मृतियों से भरा होता है

गए दिन जैसे गुज़रे हैं उन्हें भयानक कहूँ या उस भयावहता का साक्षात्कार, जिसका एक अंश मुझ-से मुझ-तक होकर गुज़रा है। चोर घात लगाए बैठा था और हम शिकार होने को अभिशप्त थे। जैसे धीरे-धीरे हम उसकी ज़द में स

24 सितम्बर 2025

भूले-भटके दिन : कुछ रूमानी टुकड़े

भूले-भटके दिन : कुछ रूमानी टुकड़े

मैंने अपने सबसे असुरक्षित क्षणों में जब-जब तुम्हें याद किया है, तब-तब यह सवाल आया कि बीतते समय के साथ मैं तुम्हारे लिए महत्त्वपूर्ण रहूँगा कि नहीं! संभव है, यह प्रश्न तुम्हारे ज़ेहन में भी उठता होगा,