साहित्य और संस्कृति की घड़ी
8 अगस्त 2024 को इंडिया इंटरनेशनल सेंटर, नई दिल्ली में मनोहर श्याम जोशी स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक मनोहर श्याम जोशी की जयंती की पूर्व-संध्या पर यह आयोजन जानकीपुल ट
कैसी विडंबना है कि हर समाज में प्रेम-विवाह और तलाक़ दोनों का प्रचलन एक साथ और एक-सी तेज़ी से बढ़ता रहा है। रूमानी साहित्य और सिनेमा में यह आभास दिया जाता रहा कि प्रेमी-प्रेमिका विवाह-सूत्र में बँधकर
मणि कौल की फ़िल्म ‘सिद्धेश्वरी’ 1989 में बनी एक डॉक्यूमेंट्री है, जो प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका सिद्धेश्वरी देवी के जीवन और कला पर आधारित है। सिद्धेश्वरी देवी भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक म
तड़के तीन से साढ़े तीन बजे के बीच वह मेरे कमरे पर दस्तक देते, जिसमें भीतर से सिटकनी लगी होती थी। वह मेरा नाम पुकारते, बल्कि फुसफुसाते। कुछ देर तक मैं ऐसे दिखावा करता, मानो मुझे कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा हो
24 जुलाई 2024 भतृहरि ने भी क्या ख़ूब कहा है— सर्वे गुणाः काञ्चनमाश्रयन्ति।। अर्थात् : जिसके पास धन है, वही गुणी है; या यह भी कि सभी गुणों के लिए धन का ही आसरा है। बताइए, क्या यह आज भी सच
“आज बाल नहीं धोने हैं।” “क्यों?” “आज एकादशी है।” “पर बाबा तो अभी-अभी शैंपू करके निकले हैं।” “तुमसे तो बात ही करना बेकार है। चार किताब पढ़ के आज के लैकन तेज हो जाई त ह थ...” औरतों का ब
मेरे एक मित्र हैं सुखलाल जी। उनसे मेरी मित्रता के लगभग तीस साल होने को हैं। वैसे तो वह मेरे साथ दिल्ली महानगर में एक प्रकाशन में काम कर चुके हैं, लेकिन उनसे और नज़दीकियाँ इसलिए हैं कि वह मेरे गाँव क्
बुद्धिजीवियों ने अपना वाहन नहीं बदला। आज भी गधे उनके पसंदीदा वाहन हैं। ...एक गधे को दूसरे गधे से बहुत ईर्ष्या होती है। बुद्धिजीवी कभी घोड़े क
जिस तरह निर्मल वर्मा की सभी कृतियाँ बार-बार ‘वे दिन’ हो जाती हैं, कुछ उसी तरह मुझे भी इलाहाबाद के वे दिन याद आते हैं। — ज्ञानरंजन एक ...और मुझे दिल्ली के ‘वे दिन’ याद आते हैं, और बेतरतीब याद
गत 31 जुलाई 2024 को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में महान् साहित्यकार प्रेमचंद की जयंती के उपलक्ष्य में ‘प्रेमचंद का महत्त्व’ शीर्षक विचार-गोष्ठी का आयोजन विभागाध्यक्ष प्रो. वशिष्ठ द्विव
जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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