साहित्य और संस्कृति की घड़ी
क़रीब तीस साल पहले जब मैं मुंबई में पत्रकारिता के क्षेत्र में कार्यरत थी, तब एक बार सिटी प्रोफ़ाइल करने के वास्ते बैंगलोर (वर्तमान में बेंगलुरु) और मैसूर जाना हुआ था। मुंबई से बैंगलोर की वह फ़्लाइट तब
20 नवम्बर 2025
बीते हिंदी दिवस पर ‘जागरण कनेक्ट’ और ‘हिन्दवी’ ने मिलकर ‘उत्सव हिन्दी का’ अभियान की शुरुआत की थी। देश भर से प्राप्त 1050 प्रविष्टियों ने इस आयोजन को नई ऊर्जा दी और हिंदी भाषा के प्रति युवा प्रतिभाओं
Men are afraid that women will laugh at them. Women are afraid that men will kill them. मार्गरेट एटवुड का मशहूर जुमला—मर्द डरते हैं कि औरतें उनका मज़ाक़ उड़ाएँगीं; औरतें डरती हैं कि मर्द उन्हें क़त्ल
17 नवम्बर 2025
‘नई कविता’ के अनेक आयामों पर विभिन्न दृष्टिकोणों से बहस होने के बाद भी इसमें लगातार कुछ नए की तलाश बनी रहती है। इसके केंद्र में ‘मुक्तिबोध’ या ‘अज्ञेय’ की बाइनरी को भी प्रश्नांकित किया जाता रहेगा। इस
भारत की सर्वाधिक प्रतिष्ठित और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त समकालीन कला प्रदर्शनी कोच्चि–मुज़िरिस बिएनाले (Kochi-Muziris Biennale) का छठा संस्करण 12 दिसंबर, 2025 से केरल के ऐतिहासिक समुद्री
शिवमूर्ति जी ने ‘अगम बहै दरियाव’ पर मेरी आलोचना देखकर एक प्रतिलेख लिखा है और ग़ालिब की यह मनःकामना मेरे हित में पूरी कर दी : नाकर्दा गुनाहों की भी हसरत की मिले दाद या रब! अगर इन कर्दा गुनाहों क
गत 6 अक्टूबर को ‘बेला’ पर ‘अगम बहै दरियाव’ (शिवमूर्ति, राजकमल प्रकाशन, द्वितीय संस्करण : 2024, पृष्ठ 560-561) पर वागीश शुक्ल का एक आलोचनात्मक आलेख प्रकाशित हुआ। इसे पढ़कर शिवमूर्ति ने अपना पक्ष रखा है
15 नवम्बर 2025
इस आलेख-शृंखला से संबंधित दो आलेख—अनुभूति की शुद्धता का सवाल और महान् कविताओं के बिंब कैसे होते हैं!—आप पहले पढ़ चुके हैं। अब पढ़िए यह तीसरा आलेख : आज बड़ी शानदार सुबह थी। यूनिवर्सिटी की सड़क बारिश
सड़क के किनारे फ़ुटपाथ पर लेटा बूढ़ा व्यक्ति लगातार खाँस रहा है। बग़ल में बैठा जवान बेटा हथेली पर खैनी ठोंकते हुए खाना बनने का इंतज़ार कर रहा है। चेस-नुमा शरीर के साथ अधनंगा एक छोटा बच्चा खेल रहा है।
13 नवम्बर 2025
यह सभा एक बंधु के निधन पर एक कवि के अपने रचना-क्षेत्र हो उठ जाने पर, दुःख प्रकट करने और शोक-संतप्त परिवार को हम सबकी संवेदना पहुँचाने के लिए एकत्र हुई है। बंधु की स्मृति से अभिभूत हो जाना स्वाभाविक ह