बालमुकुंद गुप्त के भूले-बिसरे साहित्यिक घराने की ओर
कल रात बारिश और आँधी आई थी तो मौसम ने भी प्रतिदिन की आदत को छोड़ते हुए हम पर रहम किया और सूर्य देवता काफ़ी देर तक ग़ायब ही रहे तथा बादलों ने ख़ुद को ढाल बनाकर हमें शीतलता प्रदान की। महेंद्रगढ़, ऐसी ज
चार नाम, एक इंक़लाब
रेल की पटरियाँ दूर तक फैली थीं। प्लेटफ़ॉर्म की उखड़ी हुई खपरैल समय की मार झेलती हुई-सी लगती थीं। आज से ठीक सौ साल पहले लखनऊ के ऐसे ही स्टेशन पर आठ-डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन पर क्रांतिकारियों क
इरफ़ान एक नया सूरज था जो बहुत जल्द अस्त हो गया
इरफ़ान ख़ान। शिद्दत। उस शिद्दत की ज़िम्मेदारी। इस ज़िम्मेदारी की ख़ामोश अच्छाई। उसकी ख़ामोश अच्छाई की बोलती निगाहें। अगर मुझे किसी ऐसे अभिनेता को पेश करना हो जो अपने होने भर से एक निहायत ही नफ़ीस तरी
अनुवाद का द्वंद्व : भक्ति-काव्य की सार्वभौमिक अनुगूँजें
दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे (1938–2009) आधुनिक मराठी साहित्य के प्रमुख कवि, आलोचक, अनुवादक, चित्रकार और फ़िल्मकार थे; जिन्होंने मराठी और अँग्रेज़ी—दोनों भाषाओं में अपनी रचनात्मकता का विस्तार किया। बड़ौदा
धर्मेंद्र : सबसे सरल सिने-अध्याय
धर्मेंद्र के निधन पर एक व्यापक सामूहिक क्षति का एहसास हमें न्यूज़ चैनल्स पर दिखाई गईं ख़बरों और सोशल मीडिया पर दी गईं श्रद्धांजलियों से हुआ। धर्मेंद्र एक बड़े जनसमूह के नायक थे, जिन्होंने लंबे समय तक
हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का शब्दकोश : पंडित अमरनाथ की विरासत को नया आयाम
26 नवंबर, 2025 को नई दिल्ली में शास्त्रीय संगीत गुरु पंडित अमरनाथ द्वारा रचित ‘हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का शब्दकोश’ के हिंदी संस्करण का लोकार्पण इंडिया इंटरनेशनल सेंटर-एनेक्स में हुआ। इस अवसर पर
स्मरण मुक्तिबोध : एक अंतःकथा
बीते 13 नवंबर मेरे प्रिय कवियों में से एक गजानन माधव मुक्तिबोध की जन्मतिथि थी। इसके उपलक्ष्य में ‘हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग’, इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ‘स्मरण मुक्तिबोध’ नाम से [15 नवंबर, 2
13 नवम्बर 2025
जन्मतिथि विशेष : मुक्तिबोध : आत्मा के मित्र को स्नेहांजलि
यह सभा एक बंधु के निधन पर एक कवि के अपने रचना-क्षेत्र हो उठ जाने पर, दुःख प्रकट करने और शोक-संतप्त परिवार को हम सबकी संवेदना पहुँचाने के लिए एकत्र हुई है। बंधु की स्मृति से अभिभूत हो जाना स्वाभाविक ह
फ़ादर वालेस : साधु तो चलता भला
वर्ष 2025 गुजराती साहित्य के इतिहास में एक विशेष वर्ष है—इस वर्ष गुजराती भाषा और संस्कृति के एक विलक्षण साधक, फ़ादर वालेस (Father Carlos González Vallés) की जन्मशती मनाई जा रही है। फ़ादर वालेस का जन्
शारदा सिन्हा स्मृति शेष नहीं, स्मृति अशेष हैं
सो रहो मौत के पहलू में ‘फ़राज़’ नींद किस वक़्त न जाने आए और फिर वह सो गईं—चिर निद्रा में। यह 5 नवंबर 2024 की रात थी। बस एक दिन पहले ही वेंटिलेटर पर आई थीं। पर अब सबको लग ही रहा था कि अब नहीं लौ
28 अक्तूबर 2025
भारतेंदु मिश्र : तरफराति पिंजरा है काठ कै चिरइया
कितना दारुण है यह लिखना—स्वर्गीय भारतेंदु मिश्र। मैं उन्हें दद्दा कहता रहा हूँ। अब दद्दा स्मृतियों में रहेंगे, उनकी आत्मीयताओं का बतरस कानों में बजता रहेगा, उनकी कविताओं की पंक्तियाँ वजह-बे-वजह मस्ति
असरानी के लिए दस कविताएँ
असरानी एक असरानी के निधन पर हमें कितना ग़मगीन होना चाहिए राजेश खन्ना के निधन से ज़्यादा या राजेश खन्ना के निधन से कम? दो वह कहानी का हिस्सा थे पर कहानी उनके बारे में नहीं थी कभी वह न
असमाप्य अनुष्ठान : रतन थियम का रंगकर्म
नाटक शुरू होने के पहले की थर्ड बेल बजती है। नाट्यशाला का अँधेरा गाढ़ा होते-होते किसी प्रागैतिहासिक, चंद्रमा विहीन रात्रि के ठोस अँधेरे में बदल जाता है। और तब पृथ्वी के किसी सुदूर कोने से एक वृंदगान क
रविशंकर उपाध्याय स्मृति युवा कविता पुरस्कार-2026 के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित
रविशंकर उपाध्याय स्मृति संस्थान ने कवि रविशंकर उपाध्याय की स्मृति में प्रत्येक वर्ष दिए जाने वाले पुरस्कार—‘रविशंकर उपाध्याय स्मृति युवा कविता पुरस्कार 2026’ के लिए प्रविष्टियाँ आमंत्रित की हैं।
ज़ुबिन गार्ग : समय जब ठहर जाए...
कोई मनुष्य कितना प्रिय हो सकता है, जीते जी इसका सही अंदाज़ा लगाना कठिन होता है। अपने जीवन काल में कई महानुभावों को इस संसार का मोह त्याग करते हुए हम सबने देखा होगा, उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी भीड़ भी हम
इलाहाबाद तुम बहुत याद आते हो-4
तीसरी कड़ी से आगे... आगे डायोसिस चर्च ऑफ़ लखनऊ के प्रभारी का आवास है। मैं जब छात्रावास में रहता था। तब एक बार ऐसा हुआ कि छात्रावास ने व्यवस्थाओं से दूर-दूर तक अपना नाता तोड़ लिया। न साफ़-सफ़ाई, न
12 सितम्बर 2025
विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय : एक अद्वितीय साहित्यकार
बांग्ला साहित्य में प्रकृति, सौंदर्य, निसर्ग और ग्रामीण जीवन को यदि किसी ने सबसे पूर्ण रूप से उभारा है, तो वह विभूतिभूषण बंद्योपाध्याय (1894-1950) हैं। चरित्र-चित्रण, अतुलनीय गद्य-शैली, दैनिक जीवन को
भारत भवन और ‘अँधेरे में’ मुक्तिबोध की पांडुलिपियाँ
जब हमने तय किया कि भारत भवन जाएँगे तो दिन शाम की कगार पर पहुँच चुका था। ऊँचे किनारे पर पहुँचकर सूरज को अब ताल में ढलना था। महीना मई का था, लिहाज़ा आबोहवा गर्म थी। शनिवार होने के बावजूद लोगों की उपस्थ
‘मुक्तिबोध’ की परम अभिव्यक्ति ‘विद्रोही’
मुक्तिबोध का रहस्यमय व्यक्ति जो उनके परिपूर्ण का आविर्भाव है, वह रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ है। मुक्तिबोध के काव्य में बड़ी समस्या है—सेंसर की। वहाँ रचना-प्रक्रिया के तीसरे क्षण में ‘जड़ीभूत सौंदर्याभिरु
30-31 अगस्त को दिल्ली में होगा ‘एक है अमृता’
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता कहते हैं अगर प्यार इंसान की शक्ल लेता, तो उसका चेहरा अमृता प्रीतम के जैसा होता। ‘एक है अमृता’ उसी प्यार की बात करता है। ‘एक है
28 अगस्त को अजमेर में होगा ‘लहर’-संपादक प्रकाश जैन का जन्मशती-आयोजन
अजमेर की साहित्यिक धरती ने अनेक नामचीन हस्तियों को जन्म दिया है। इन्हीं में से एक हैं साहित्यकार और लघु पत्रिका लहर के संपादक प्रकाश जैन—जिन्होंने न केवल कविता के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई, बल्कि ह
काग़ज़ी है पैरहन : इस्मत चुग़ताई के बनने की दास्तान
उर्दू गद्य साहित्य की बेहतरीन और बहुचर्चित हस्ताक्षर इस्मत चुग़ताई की आत्मकथा है—‘काग़ज़ी है पैरहन’। यह किताब इस्मत चुग़ताई की शुरूआती ज़िंदगी और उनकी निर्मिति की कहानी को बहुत रोचक अंदाज़ में बयाँ करती है
07 अगस्त 2025
अंतिम शय्या पर रवींद्रनाथ
श्रावण-मास! बारिश की झरझर में मानो मन का रुदन मिला हो। शाल-पत्तों के बीच से टपक रही हैं—आकाश-अश्रुओं की बूँदें। उनका मन उदास है। शरीर धीरे-धीरे कमज़ोर होता जा रहा है। शांतिनिकेतन का शांत वातावरण अशांत
8 अगस्त को ज़िक्र-ए-इरशाद
8 अगस्त 2025 को नई दिल्ली के मंडी हाउस स्थित एलटीजी ऑडिटोरियम में एक विशेष स्मृति संध्या का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन प्रसिद्ध शायर, गीतकार, नाटककार और कहानीकार इरशाद ख़ान सिकंदर की जयंती के अवस
01 अगस्त 2025
प्रेमचंद-जयंती पर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्रेमचंद की कहानियों की नाट्य-प्रस्तुति
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिंदी एवं आधुनिक भारतीय भाषा विभाग ने प्रेमचंद-जयंती के अवसर पर 31 जुलाई 2025 को एक विशेष नाट्य कार्यक्रम ‘नाट्य पाठ 5.0’ का आयोजन किया। यह आयोजन विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिट
8/4 बैंक रोड, इलाहाबाद : फ़िराक़-परस्तों का तीर्थ
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एम.ए. में पढ़ने वाले एक विद्यार्थी मेरे मित्र बन गए। मैं उनसे उम्र में छोटा था, लेकिन काव्य हमारे मध्य की सारी सीमाओं पर हावी था। हमारी अच्छी दोस्ती हो गई। उनका नाम वीरेंद्र