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मृत्यु पर बेला

मृत्यु शब्द की की व्युत्पत्ति

‘म’ धातु में ‘त्यु’ प्रत्यय के योग से से हुई है जिसका अभिधानिक अर्थ मरण, अंत, परलोक, विष्णु, यम, कंस और सप्तदशयोग से संयुक्त किया गया है। भारतीय परंपरा में वैदिक युग से ही मृत्यु पर चिंतन की धारा का आरंभ हो जाता है जिसका विस्तार फिर दर्शन की विभिन्न शाखाओं में अभिव्यक्त हुआ है। भक्तिधारा में संत कवियों ने भी मृत्यु पर प्रमुखता से विचार किया है। पश्चिम में फ्रायड ने मनुष्य की दो प्रवृत्तियों को प्रबल माना है—काम और मृत्युबोध। इस चयन में प्रस्तुत है—मृत्यु-विषयक कविताओं का एक अद्वितीय संकलन।

29 मार्च 2025

तेरह दिन की एक आत्मकथा

तेरह दिन की एक आत्मकथा

रहना यहीं था—इसी समाज में, घर के भीतर, घर के बाहर। घर भीतर ढूँढ़ते हुए अब, सब इधर-उधर था। कोई याद अपनी जगह पर नहीं मिल रही है इस जगह। अभी तो रहना है, यह सोचकर यादों को तरतीब देने का मन बना लिया।

07 मार्च 2025

‘द फ़ॉल्ट इन आर स्टार्स’ : प्रेम के रास्ते मृत्यु की तैयारी

‘द फ़ॉल्ट इन आर स्टार्स’ : प्रेम के रास्ते मृत्यु की तैयारी

साल 2014 में रिलीज़ हुई अँग्रेज़ी भाषा की एक अद्भुत फ़िल्म है—‘The Fault In Our Stars’. साल 2020 में आई ‘दिल बेचारा’ इसी फ़िल्म का हिंदी रीमेक थी, लेकिन इसे देखते हुए यही दुख और मलाल रहा कि यह मूल फ़

23 फरवरी 2025

रविवासरीय : 3.0 : ‘जो पेड़ सड़कों पर हैं, वे कभी भी कट सकते हैं’

रविवासरीय : 3.0 : ‘जो पेड़ सड़कों पर हैं, वे कभी भी कट सकते हैं’

• मैंने Meta AI से पूछा : भगदड़ क्या है? मुझे उत्तर प्राप्त हुआ :  भगदड़ एक ऐसी स्थिति है, जब एक समूह में लोग अचानक और अनियंत्रित तरीक़े से भागने लगते हैं—अक्सर किसी ख़तरे या डर के कारण। यह अक्सर

10 जनवरी 2025

आत्म-तर्पण : कबहुँ न नाथ नींद भरि सोयो

आत्म-तर्पण : कबहुँ न नाथ नींद भरि सोयो

‘हिन्दवी’ के विशेष कार्यक्रम ‘संगत’ के 89वें एपिसोड में हिंदी कथा साहित्य के समादृत हस्ताक्षर चन्द्रकिशोर जायसवाल ने यहाँ प्रस्तुत संस्मरणात्मक कथ्य ‘आत्म-तर्पण’ का ज़िक्र किया था, जिसके बाद कई साहित

18 दिसम्बर 2024

ज़ाकिर हुसैन : एक उस्ताद का जीवन

ज़ाकिर हुसैन : एक उस्ताद का जीवन

इतना बोलता हुआ, इतना प्रसन्नमन, ऊर्जस्वी और संगीतमय मनुष्य आपने उनके पहले कब देखा था? उस्ताद ज़ाकिर हुसैन कुल मिलाकर 73 वर्षों तक इस दुनिया में रहे; लेकिन इस एक उम्र में उन्होंने कई ज़िंदगियाँ जी लेने

23 नवम्बर 2024

नवंबर में ‘क़यास’ पर कुछ क़यास

नवंबर में ‘क़यास’ पर कुछ क़यास

मृत्यु वैसे भी रहस्य में लिपटी होती है। इस पर कई बार वह अपने इस रहस्य को कोई ऐसा आकार दे देती है कि वह लगातार गड़ता है। हम बार-बार पीड़ा में लिपटे उस रहस्य की ओर लौटते हैं और हर बार एक अजीब-सी चोट खाक

15 अक्तूबर 2024

महाप्राण निराला की आख़िरी तस्वीरें

महाप्राण निराला की आख़िरी तस्वीरें

महाप्राण! आज 15 अक्टूबर है। महाप्राण निराला की पुण्यतिथि। 1961 की इसी तारीख़ को उनका निधन हुआ था। लेकिन निराला अमर हैं। उनका मरणोत्तर जीवन अमिट है। उनकी शहादत अमर है। उनका अंत नहीं हो सकता। उन्ह

06 अक्तूबर 2024

'बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला...'

'बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला...'

यह दो अक्टूबर की एक ठीक-ठाक गर्मी वाली दोपहर है। दफ़्तर का अवकाश है। नायकों का होना अभी इतना बचा हुआ है कि पूँजी के चंगुल में फँसा यह महादेश छुट्टी घोषित करता रहता है, इसलिए आज मेरी भी छुट्टी है। मेर

05 अक्तूबर 2024

आचार्य रामचंद्र शुक्ल की आख़िरी तस्वीरें

आचार्य रामचंद्र शुक्ल की आख़िरी तस्वीरें

दाह!  ये सभी चित्र सफ़ेद रंग के एक छोटे-से लिफ़ाफ़े में रखे हुए थे, जिस पर काली सियाही से लिखा हुआ था—दाह। पिछले 83 सालों से इन चित्रों को जाने-अनजाने बिला वजह गोपनीय बनाकर रखा गया और धीरे-धीरे

15 सितम्बर 2024

क़ुबूलनामा : एक एंबुलेंस ड्राइवर का

क़ुबूलनामा : एक एंबुलेंस ड्राइवर का

डिस्क्लेमर :  क़ुबूलनामा शृंखला में प्रस्तुत लेखों में वर्णित सभी पात्र, कहानियाँ, घटनाएँ और स्थान काल्पनिक हैं; जो किसी भी व्यक्ति, समूह, समाज, सरकारी-ग़ैरसरकारी संगठन और अधिकारियों से कोई संबंध न

18 जुलाई 2024

एक कोरोजीवी का ख़ुद को ख़त

एक कोरोजीवी का ख़ुद को ख़त

प्रिय ‘मैं’ घड़ी के अश्रांत पाँव मुझे हमेशा रोचक लगे हैं। उनके आगे चलते जाने की प्रतिबद्धता मुझे हैरत और हिम्मत से सराबोर करती है। तुम्हें पता है कि मेरी हमेशा से यह अकारथ इच्छा रही है—जो कि संभवतः

15 जुलाई 2024

‘सोज़’ के तखल्लुस से ग़ज़लें लिखने वाले कांतिमोहन का जाना

‘सोज़’ के तखल्लुस से ग़ज़लें लिखने वाले कांतिमोहन का जाना

लेखक, शिक्षक, विचारक और संगठनकर्ता कांतिमोहन का रविवार, 14 जुलाई को निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 14 जुलाई 1936 को हल्द्वानी, उत्तराखंड में उनका जन्म हुआ। 14 जुलाई 2024 को 88 वर्ष पूरे

16 मई 2024

'उम्र हाथों से रेत की तरह फिसलती रहती है और अतीत का मोह है कि छूटता ही नहीं'

'उम्र हाथों से रेत की तरह फिसलती रहती है और अतीत का मोह है कि छूटता ही नहीं'

हिंदी की समादृत साहित्यकार मालती जोशी का बुधवार, 15 मई को 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वर्ष 2018 में साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वह लगभग 70

27 अप्रैल 2024

समॉरा का क़ैदी

27 अप्रैल 2024

समॉरा का क़ैदी

‘समारा का क़ैदी’ एक प्राचीन अरबी कहानी है। इस कहानी का आधुनिक रूपांतरण सोमरसेट मौ'म ‘अपॉइंटमेंट इन स्मारा’ (1933) नाम से कर चुके हैं। यहाँ इस कहानी का चित्रकथात्मक रूपांतरण कर रहे—अविरल कुमार और मैना

16 अप्रैल 2024

नवगीत का सूरज डूब गया

नवगीत का सूरज डूब गया

माहेश्वर तिवारी [1939-2024]—एक भरा-पूरा नवगीत नेपथ्य में चला गया—अपनी कभी न ख़त्म होने वाली गूँज छोड़कर। एक किरन अकेली पर्वत पार चली गई। एक उनका होना, सचमुच क्या-क्या नहीं था! उन्हें रेत के स्वप्न आते