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समय पर बेला

समय अनुभव का सातत्य

है, जिसमें घटनाएँ भविष्य से वर्तमान में गुज़रती हुई भूत की ओर गमन करती हैं। धर्म, दर्शन और विज्ञान में समय प्रमुख अध्ययन का विषय रहा है। भारतीय दर्शन में ब्रह्मांड के लगातार सृजन, विनाश और पुनर्सृजन के कालचक्र से गुज़रते रहने की परिकल्पना की गई है। प्रस्तुत चयन में समय विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।

15 अक्तूबर 2024

महाप्राण निराला की आख़िरी तस्वीरें

महाप्राण निराला की आख़िरी तस्वीरें

महाप्राण! आज 15 अक्टूबर है। महाप्राण निराला की पुण्यतिथि। 1961 की इसी तारीख़ को उनका निधन हुआ था। लेकिन निराला अमर हैं। उनका मरणोत्तर जीवन अमिट है। उनकी शहादत अमर है। उनका अंत नहीं हो सकता। उन्ह

17 सितम्बर 2024

इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रावास के दिन

इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रावास के दिन

इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ने आना एक मुश्किल भरा सफ़र रहा। इलाहाबाद आने के बाद, रहने के लिए कमरा मिलना एक बड़ी समस्या थी। इस समस्या का स्थाई समाधान तब हो गया, जब मुझे विश्वविद्यालय के एक छात्रावास

06 अगस्त 2024

संवेदना न बची,  इच्छा न बची, तो मनुष्य बचकर क्या करेगा?

संवेदना न बची, इच्छा न बची, तो मनुष्य बचकर क्या करेगा?

24 जुलाई 2024 भतृहरि ने भी क्या ख़ूब कहा है— सर्वे गुणाः काञ्चनमाश्रयन्ति।।  अर्थात् : जिसके पास धन है, वही गुणी है; या यह भी कि सभी गुणों के लिए धन का ही आसरा है।  बताइए, क्या यह आज भी सच

13 जून 2024

कविता की कहानी सुनता कवि

कविता की कहानी सुनता कवि

कविता आती है और कवि को आत्मा से शब्द की अपनी यात्रा की दिलचस्प दास्ताँ सुनाने लगती है। कवि के पूछने पर कविता यह भी बताती है कि आते हुए उसने अपने रास्ते में क्या-क्या देखा। कविता की कहानी सुनने का कवि

06 मई 2024

एक रोज़ हम लौट आना चाहते हैं

एक रोज़ हम लौट आना चाहते हैं

मई 2024         तुमने कहा—जाती हूँ  और तुमने सोचा कवि केदार की तरह मैं कहूँगा—जाओ लेकिन मेरी लोकभाषा के पास अपने बिंब थे मेरी लोकभाषा में कोई कहीं जाता था ‘तो आता हूँ’ कहकर शेष बच जाता था

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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