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समय पर गीत

समय अनुभव का सातत्य

है, जिसमें घटनाएँ भविष्य से वर्तमान में गुज़रती हुई भूत की ओर गमन करती हैं। धर्म, दर्शन और विज्ञान में समय प्रमुख अध्ययन का विषय रहा है। भारतीय दर्शन में ब्रह्मांड के लगातार सृजन, विनाश और पुनर्सृजन के कालचक्र से गुज़रते रहने की परिकल्पना की गई है। प्रस्तुत चयन में समय विषयक कविताओं का संकलन किया गया है।

समय का पहिया

गोरख पांडेय

तरकुल के छाँव में

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’

ये कैसी दोपहरी है

अन्नू रिज़वी

समय के अहेरिया

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’

यह भी बीत जाएगा, बंधु!

राघवेंद्र शुक्ल

आज

नरेंद्र शर्मा

क्षणों के फूल

शंभुनाथ सिंह

कितना पानी

चित्रांश वाघमारे

रेत भर गई है आँखों में

विनोद श्रीवास्तव

थक गया है दोपहर

राघवेंद्र शुक्ल