अवसाद पर कविताएँ

अवसाद अपने सामान्य अर्थ

में उदासी, रिक्तता, निराशा, हताशा, ग्लानि, चिंता आदि को प्रकट करता है और इन्हें कविता और कला के लिए उत्प्रेरक लक्षणों की तरह देखा गया है। अपने गंभीर लक्षणों में यह एक मनोविकार है जो स्वयं के प्रति या दुनिया के प्रति हिंसा में भी बदल सकता है। मनोगतता से इसके संबंध के कारण यह हमेशा से कविता का विषय बनता रहा है।

नवस्तुति

अविनाश मिश्र

उदास लड़के

घुँघरू परमार

आत्म-मृत्यु

प्रियंका दुबे

अंतिम दो

अविनाश मिश्र

पिता

नवीन रांगियाल

अँधेरे का सौंदर्य-2

घुँघरू परमार

दर्द

सारुल बागला

मेरा गला घोंट दो माँ

निखिल आनंद गिरि

सोने से पहले

मंगलेश डबराल

उदासी

प्रदीप्त प्रीत

मेघदूत विषाद

सुधांशु फ़िरदौस

शोक

अम्बर पांडेय

बुरे समय में नींद

रामाज्ञा शशिधर

प्रेम और उदासी

सारुल बागला

लड़के सिर्फ़ जंगली

निखिल आनंद गिरि

उम्र

सारुल बागला

अकेले में शर्म आती है

रामकुमार तिवारी

व्यवस्थाएँ

अविनाश मिश्र

असहनीय

वियोगिनी ठाकुर

घर जाने में

पंकज प्रखर

वसंत

राकेश रंजन

बकवास

ज़ुबैर सैफ़ी

सुख है

अविनाश मिश्र

मन न मिला तो कैसा नाता

कृष्ण मुरारी पहारिया

अवसाद का रंग

ऋतु कुमार ऋतु

ये अषाढ़ के पहले बादल

कृष्ण मुरारी पहारिया

कौन बताएगा

प्रमोद वर्मा

दिल दुखने की बातें

हरजीत अर्नेस्ट

हुनर

सारुल बागला

कठ-करेज समय

रूपम मिश्र

आवाज़ तेरी है

राजेंद्र यादव

साज़िश

नवीन रांगियाल

इच्छाओं का कोरस

निखिल आनंद गिरि

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