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सेक्स पर कविताएँ

‘सेक्स’ अँग्रेज़ी भाषा

का शब्द है जो हिंदी में पर्याप्त प्रचलित है। हिंदी में इसका अर्थात् : रति, संभोग, सहवास, मैथुन, यौनाचार, काम, प्रेमालाप से संबद्ध है। सेक्स एक ऐसी क्रिया है जिसमें देह के माध्यम सुख की प्राप्ति की जाती है या प्रेम प्रदर्शित किया जाता है। सेक्स-केंद्रित कविताओं की प्रमुखता साहित्य में प्राचीनकाल से ही रही है। हिंदी में रीतिकाल इस प्रसंग में उल्लेखनीय है। इसके साथ ही विश्व कविता और भारतीय कविता सहित आधुनिक हिंदी कविता में भी सेक्स के विभिन्न आयामों पर समय-समय पर कविताएँ संभव हुई हैं। यहाँ प्रस्तुत है सेक्स-विषयक कविताओं का एक चयन।

स्त्री के पैरों पर

प्रियंका दुबे

इच्छा

उपासना झा

प्रेमिकाएँ

सुदीप्ति

एकांत

सारुल बागला

मुझे पसंद हैं

अणुशक्ति सिंह

स्पेस

अंकिता शाम्भवी

प्रेमिका के लिए

अरमान आनंद

एकांत में वह

कंचन जायसवाल

प्रेमालाप

निकानोर पार्रा

संधि-बेला

कंचन जायसवाल

रंगरसिया

सुशोभित

प्रेम में अनकहा

रूपम मिश्र

अभिसारिका

पंकज प्रखर

अभिसार

उपासना झा

देह-राग : दो

कंचन जायसवाल

दूसरी स्त्री

कंचन जायसवाल

बातों का प्रेम

पूनम सोनछात्रा

पोर्नोग्राफ़ी

प्रीति चौधरी

खंडित यात्राओं के बीच

जगदीश चतुर्वेदी

प्रेम कविता : 1966

जगदीश चतुर्वेदी

प्रेम-4

राम जन्म पाठक

खुली नग्न जाँघ पर

कंचन जायसवाल

जिस तरह वृहद आकाश

पूनम अरोड़ा

प्रत्यावर्तन

जगदीश चतुर्वेदी

एक ज़िंदा आकाश

जगदीश चतुर्वेदी

सोना

मौलश्री कुलकर्णी

देह-राग : एक

कंचन जायसवाल

मेरा धर्म

जगदीश चतुर्वेदी

शब्दहीन मिलन

अमर दलपुरा

अद्वैत

अनुजीत इक़बाल

विसंगति

जगदीश चतुर्वेदी

प्रेम-6

राम जन्म पाठक

आत्म-रति

जगदीश चतुर्वेदी

विपर्यय

जगदीश चतुर्वेदी

यंत्रयुग

जगदीश चतुर्वेदी

वह स्त्री दुखी है

प्रीति चौधरी

दाम्पत्य जीवन

जगदीश चतुर्वेदी

अश्लील कविता

जगदीश चतुर्वेदी