सौंदर्य पर उद्धरण
सौंदर्य सुंदर होने की
अवस्था या भाव है, जो आनंद और संतोष की अनुभूति प्रदान करता है। सौंदर्य के मानक देश, काल, विषय और प्रसंग में बदलते रहते हैं। प्रस्तुत चयन में उन कविताओं को शामिल किया गया है; जिनमें सुंदरता शब्द, भाव और प्रसंग में प्रमुखता से उपस्थित है।
औरत जब लड़की में बदल जाए तो बिल्कुल चुप रहो। थक जाए, चुप हो जाए, तो मर्दों का बनाया सबसे झूठा वाक्य बोलो, आप तो ग़ुस्से में और सुंदर हो जाती हैं।
सवाल यह नहीं कि सुंदर कौन है। सवाल यह है कि हम सुंदर किसे मानते हैं।
एक रमणीय स्त्री का सारा इतिहास प्रेम का इतिहास होता है।
जिस प्रकार अनेक रंगों में हँसती हुई फूलों की वाटिका को देखकर दृष्टि सहसा आनंद-चकित रह जाती है, उसी प्रकार जब काव्य-चेतना का सौंदर्य हृदय में प्रस्फुटित होने लगता है, तो मन उल्लास से भर जाता है।
सूरज नहीं चाँद तारे संगीत चित्र भी नहीं कविता से भी सुंदर लगता है मनुष्य।
सुंदर औरत नादिरशाही होती है। एक-एक करके सब कुछ लूटती है।
औरत एक छोटा-सा सुख तो देती है, लेकिन दुख बहुत लंबा देती है। प्रभुजी का बनाया विनाशकारी जीव। उसका घातक सौंदर्य पहले हमें बाँध लेता है, फिर सर्वनाश कर देता है।
एक औरत बहुत सुंदर हो तो उससे प्रणय-याचना करनी चाहिए।
एक बहुत ख़ूबसूरत औरत निर्दयी शक्तियों की मल्लिका होती है।
कभी ऐसा दिन भी होता है और ऐसी ऋतु जब आकाश पर सुबह तक चाँद एक वाटरमार्क की तरह उपस्थित रहता है और दूसरी तरफ़ सूर्योदय भी हो रहा होता है। मेरे जीवन का प्रारंभ कुछ ऐसा ही था।
सौंदर्य से आँखें पराई हो जाती हैं और तब प्राप्ति-लालसा बढ़ जाती है।
सुंदर औरत कभी सलाह नहीं माँगती, बर्बाद करती है, नहीं तो हो जाती है।
सौंदर्य, आकार, अनुपात और क्रम के सारतत्त्व अँधों को सुलभ और हस्तगत हैं; सौंदर्य और छंद इंद्रियजन्य नहीं, बल्कि उससे गहरे, किसी आध्यात्मिक विधि के परिणाम हैं।
सुंदर हमेशा भयावह होता है।