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जीवन पर उद्धरण

जहाँ जीवन को स्वयं कविता

कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।

नितांत अव्यावहारिक होना नितांत ईमानदारी और अक़्लमंदी का लक्षण है।

विजय देव नारायण साही

अधिकतर अज्ञानता के सुख-दुःख की आदत थी। ज्ञान के सुख-दुःख बहुतों को नहीं मालूम थे। जबकि ज्ञान असीम अटूट था। ज्ञान सुख की समझ देता था पर सुख नहीं देता था।

विनोद कुमार शुक्ल

हम तो सारा का सारा लेंगे जीवन, ‘कम से कम’ वाली बात हमसे कहिए।

रघुवीर सहाय

जीवन विश्व की संपत्ति है। प्रमाद से, क्षणिक आवेश से, या दुःख की कठिनाइयों से उसे नष्ट करना ठीक तो नहीं।

जयशंकर प्रसाद

मनुष्य वह कोई हो; यही सोचता है कि परिवर्तन, बाधाएँ, अवरोध, पतन आदि सब दूसरों के लिए ही हैं।

श्री नरेश मेहता

ऐसा जीवन तो विडंबना है, जिसके लिए रात-दिन लड़ना पड़े!

जयशंकर प्रसाद

लिखना चाहे जितने विशिष्ट ढंग से, लेकिन जीना एक अति सामान्य मनुष्य की तरह।

धर्मवीर भारती

क्या ज़िंदगी प्रेम का लंबा इंतज़ार है?

गोरख पांडेय

अच्छे आदमी बनो—रोज़ मैं सोचता हूँ। क्या सोचकर अच्छा आदमी हुआ जा सकता है? अच्छा आदमी क्या होता है? कैसा होता है? किसकी तरह?

मंगलेश डबराल

दिन का अंधकार ख़तरनाक होता है। रात का अँधेरा नींद लाता है, दिन का अँधेरा ख़्वाब।

मृदुला गर्ग

अधिक हर्ष और उन्नति के बाद ही अधिक दुःख और पतन की बारी आती है।

जयशंकर प्रसाद

अच्छा काम है लघु उद्योग चलाना। सामाजिक अपराध-बोध से आदमी बचा रहता है। लघु शब्द बड़ा करामाती है। बड़े उद्योग चलाओगे तो शोषक कहलाओगे, लघु उद्योग चलाओगे तो देश सेवक।

मृदुला गर्ग

चीज़ों को देर तक देखना तुम्हें परिपक्व बनाता है और उनके गहरे अर्थ समझाता है।

विन्सेंट वॉन गॉग
  • संबंधित विषय : कला

किसी की प्रशंसा या विरोध में लिखा हुआ ही किसी को आहत करता है और ही इनसे कोई क्षति पहुँचती है। मनुष्य अपने ख़ुद के लिखे से पूर्ण या अपूर्ण हो सकता है, किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उसके बारे में कही गई बातों से नहीं।

होर्खे लुई बोर्खेस

जो एक स्थान पर टिका होता है, वह अपना मन नहीं बदलता।

लियोनार्डो दा विंची
  • संबंधित विषय : कला

यदि प्रथम साक्षात् की बेला में कथानायक अस्थायी टट्टी में बैठा है तो मैं किसी भी साहित्यिक चमत्कार से उसे ताल पर तैरती किसी नाव में बैठा नहीं सकता।

मनोहर श्याम जोशी

अपने भूले रहने की याद में जीवन अच्छा लगता है।

नवीन सागर

पगडंडियाँ समांतर रेखाएँ नहीं होतीं। भटक भटककर आगे बढ़ती हैं। अलग-अलग पगडंडियों पर चल रहे दो प्राणी कभी भी आपस में टकरा सकते हैं।

मृदुला गर्ग

सोचना भूलना है किसी अंतर का, विचार करने का अर्थ है एक अंतर को भूल जाना, चीज़ों का सामान्यीकरण करना, अमूर्त करना।

होर्खे लुई बोर्खेस

अच्छे दोस्त, अच्छी क़िताबें और एक उनींदी चेतना: एक आदर्श जीवन यही है।

मार्क ट्वेन

मृत्यु का अर्थ रौशनी को बुझाना नहीं; सिर्फ़ दीपक को दूर रखना है क्यूंकि सवेरा हो चुका है।

रवींद्रनाथ टैगोर

उम्र सिर्फ़ शरीर की बढ़ती है, मन की नहीं।

मृदुला गर्ग

जो ज़रूरी हो उसे बढ़ावा दो। रहने दो अस्पष्ट उसे जो स्पष्ट हो।

विन्सेंट वॉन गॉग

जीवन लालसाओं से बना हुआ सुंदर चित्र है। उसका रंग छीनकर उसे रेखा-चित्र बना देने से मुझे संतोष नहीं होगा।

जयशंकर प्रसाद

बलिदान देने से आत्मा कुंठित हो जाती है। आदमी अपने ऊपर घमंड करने लगता है।

मृदुला गर्ग

चेहरे पर बेशुमार झुर्रियाँ हो, देह कम‌जोरी से लाचार हो तो मन का दर्द कम होने लगता है। इसलिए नहीं कि मन बूढ़ा हो जाता है....शायद इसलिए कि झुर्रीदार बदन बीते हुए दिनों में जीकर सन्तुष्ट हो जाते हैं। वर्तमान से लगाव नहीं रखते। आँखें मूँद लेते हैं और और आज को दूर खदेड़ देते हैं।

मृदुला गर्ग

बहुत सी चीज़ों से प्यार करना अच्छा है, क्योंकि उसमें सच्ची ताकत निहित है। जो कोई भी ज़्यादा प्यार करता है, बेहतर कार्य कर पाता है और बहुत कुछ हासिल करता है। और प्यार में जो भी किया गया, वह अच्छा है

विन्सेंट वॉन गॉग

सामान्यता एक पक्की सड़क है: इस पर चलना तो आरामदायक है पर इस पर कोई फूल नहीं उगता

विन्सेंट वॉन गॉग

ज़िन्दगी की घास खोदने में जुटे हुए हम जब कभी चौंककर घास, घाम और खुरपा तीनों भुला देते हैं, तभी प्यार का जन्म होता है। या शायद इसे यों कहना चाहिए कि वह प्यार ही है जिसका पीछे से आकर हमारी आँखें गदोलियों से ढक देना हमें चौंकाकर बाध्य करता है कि घड़ी-दो घड़ी घास, घाम और खुरपा भूल जाएँ।

मनोहर श्याम जोशी

तूफ़ानों में भी एक किस्म की शाँति उपस्थित है।

विन्सेंट वॉन गॉग

मैं एक 'कोई भी नहीं' हूँ

विन्सेंट वॉन गॉग

आधुनिक मनोविज्ञान मौन ही रहा है प्रेम के विषय में, किन्तु कभी कुछ उससे कहलवा लिया गया है तो वह भी इस लोक-विश्वास से सहमत होता प्रतीत हुआ है कि 'असंभव' के आयाम में ही होता है प्रेम-रूपी व्यायाम। जो एक-दूसरे से प्यार करते हैं वे लौकिक अर्थ में एक-दूजे के लिए बने हुए होते नहीं।

मनोहर श्याम जोशी

“जितनी बुराइयाँ हैं वे केवल इसलिए कि कुछ बातें छुपाई नहीं जाती और अच्छाइयाँ इसलिए हैं कि कुछ बातें छुपा ली जाती हैं।”

विनोद कुमार शुक्ल

वस्तुतः यह सारा जीवन रसमय अनुभूतियों की सार्थक शृंखला होकर—असंबद्ध क्षणों की भँवर है, जिसकी कोई दिशा नहीं।

धर्मवीर भारती

ज़िंदगी को फूलों से तोलकर, फूलों से मापकर फेंक देने में कितना सुख है।

धर्मवीर भारती
  • संबंधित विषय : फूल

जो भी विचार ख़ुद के विरुद्ध जाता है, वह ख़ुद को चाटना शुरू कर देता है।

दूधनाथ सिंह

चंद्रमा के प्रकाश द्वारा प्रशंसा किए जाने पर किसी की छाया जीवन से बड़ी हो जाती है।

लियोनार्डो दा विंची

अदब और क़ायदे आदमी को बहुत जल्दी कायर बना देते हैं। ऐसा आदमी झगड़ा नहीं करता।

विनोद कुमार शुक्ल

दृश्य बदलने के लिए पलक का झपक जाना ही बहुत होता है।

विनोद कुमार शुक्ल

किसी भी चीज़ से प्यार या नफ़रत तब तक नहीं किया जा सकता जब तक हम उसे अच्छी तरह से जान या समझ लें।

लियोनार्डो दा विंची

अकेली एक लहर पूरे समुद्र की जगह बचती है, जब हम भूल जाते हैं जीना।

नवीन सागर

जी से जहान है। जब आबरू ही रही, तो जीने पर धिक्कार है।

प्रेमचंद

मेरा संपूर्ण जीवन इच्छा का मात्र एक क्षण है।

राजकमल चौधरी

क्या हम मानव एक-दूसरे को दुख-ही-दुख दे सकते हैं, सुख नहीं? हम क्यों सदा कटिबद्ध होते हैं एक-दूसरे को ग़लत समझने के लिए? इतना कुछ है इस सृष्टि में देखने-समझने को, फिर भी क्यों हम अपने-अपने दुखों के दायरे में बैठे रहने को अभिशप्त है? अगर हम ख़ुशियाँ लूटना-लुटाना सीख जाएँ तो क्या यही दुनिया स्वर्ग जैसी सुंदर हो जाए?

मनोहर श्याम जोशी

जुदाई का हर निर्णय संपूर्ण और अंतिम होना चाहिए; पीछे छोड़े हुए सब स्मृति-चिह्नों को मिटा देना चाहिए, और पुलों को नष्ट कर देना चाहिए, किसी भी तरह की वापसी को असंभव बनाने के लिए।

निर्मल वर्मा

ये काफ़ी है कि अगर मैं किसी चीज़ का धनी हूँ तो वह उलझनें हैं, की निश्चिन्त्ताएं।

होर्खे लुई बोर्खेस

ख़ुश होने से पहले बहाने ढूँढने चाहिए और ख़ुश रहना चाहिए। बाद में ये बहाने कारण बन जाते। सचमुच की ख़ुशी देने लगते।

विनोद कुमार शुक्ल

सुंदरता! कितना बड़ा कारण है—हम बचेंगे अगर!

नवीन सागर

मेरे पास कुछ पैसे थे। मैंने सबसे सुंदर पेंटिंग्स बनाईं। मैं पूर्ण रूप से एकांत प्रिय था। मैंने बहुत काम किया। मैंने बहुत सारा नशा किया। लोगों के लिए मैं भयानक था।

ज्यां मिशेल बस्कवा

इतिहास, रात में एक पुराने मकान सरीखा है, जिसकी सारी बत्तियाँ रोशन हों और अंदर पुर्खे फुसफुसा रहे हों। इतिहास को समझने के लिए हमें अंदर जाकर यह सुनना होगा कि वे क्या कह रहे हैं। और किताबों और दीवार पर टंगी तस्वीरों को देखना होगा। और गंध सैंधनी होगी। मगर हम भीतर नहीं जा सकते क्योंकि दरवाज़े हमारे लिए बंद हैं। और जब हम खिड़कियों से भीतर झाँकते हैं, हमें सिर्फ़ परछाइयों दिखाई देती हैं। और जब हम सुनने की कोशिश करते हैं, हमें सिर्फ़ फुसफुसाहटें सुनाई देती हैं। और हम फुसफुसाहटों को समझ नहीं पाते क्योंकि हमारे दिमाग़ों में एक युद्ध छिड़ा हुआ है। एक युद्ध जिसे हमने जीता भी है और हारा भी है। सबसे ख़राब क़िस्म का युद्ध। ऐसा युद्ध जो सपनों को बंदी बनाता है और उन्हें फिर से सपनाता है। ऐसा युद्ध जिसने हमें अपने विजेताओं की पूजा करने और अपना तिरस्कार करने पर मजबूर किया है।

अरुंधती रॉय

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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