अपने बीवी-बच्चों से, दोस्तों से, कोई अपेक्षा नहीं होनी चाहिए, अपने आपसे भी।
जैसे अँधेरे में घिरा एक तरुण पौधा प्रकाश में आने को अपने अँगूठों से उचकता है। उसी तरह जब मृत्यु एकाएक आत्मा पर नकार का अँधेरा डालती है तो यह आत्मा रौशनी में उठने की कोशिश करती है। किस दुःख की तुलना इस अवस्था से की जा सकती है, जिसमें अँधेरा अँधेरे से बाहर निकलने का रास्ता रोकता है।
प्यार, आशा और निराशा के बीच एक काँपता हुआ पुल है।
मैं अपने विवेक से निराशावादी हूँ लेकिन अपनी इच्छाशक्ति से आशावादी हूँ।
तुम्हें बहुत ज़्यादा प्रयासरत रहना चाहिए। संयत होना आसान नहीं है।
उम्मीद से बनता है एक बाग़।