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श्रीलाल शुक्ल

1925 - 2011 | अतरौली, उत्तर प्रदेश

समादृत साहित्यकार। भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित। 'राग-दरबारी' (उपन्यास) को आधुनिक क्लासिक्स का दर्जा प्राप्त।

समादृत साहित्यकार। भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित। 'राग-दरबारी' (उपन्यास) को आधुनिक क्लासिक्स का दर्जा प्राप्त।

श्रीलाल शुक्ल की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 62

विरोधी से भी सम्मानपूर्ण व्यवहार करना चाहिए। देखो न, प्रत्येक बड़े नेता का एक-एक विरोधी है। सभी ने स्वेच्छा से अपना-अपना विरोधी पकड़ रखा है। यह जनतंत्र का सिद्धांत है।

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वर्तमान शिक्षा-पद्धति रास्ते में पड़ी हुई कुतिया है, जिसे कोई भी लात मार सकता है।

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जब कभी क्लर्क वैद्यजी को 'चाचा' कहता था, प्रिंसिपल साहब को अफ़सोस होता था कि वे उन्हें अपना बाप नहीं कह पाते।

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कुछ दिन पहले इस देश में यह शोर मचा था कि अपढ़ आदमी बिना सींग-पूँछ का जानवर होता है। उस हल्ले में अपढ़ आदमियों के बहुत-से लड़कों ने देहात में हल और कुदालें छोड़ दीं और स्कूलों पर हमला बोल दिया।

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हमारे यहाँ आज भी शास्त्र सर्वोपरि है और जाति-प्रथा मिटाने की सारी कोशिशें अगर फ़रेब नहीं हैं तो रोमांटिक कार्रवाइयाँ हैं।

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