
नास्तिकता प्रायः धर्म की प्राणशक्ति की अभिव्यक्ति रही है, धर्म में वास्तविकता की खोज रही है।
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मनुष्य और मनुष्य की मज़दूरी का तिरस्कार करना नास्तिकता है।

नास्तिकता शुष्क छिलका है जो ऊपर से विलक हो गया तो उसके नीचे धर्म का कोमल और स्वादिष्ट छिलका पाया गया।