
धर्म की आड़ में क्रियाशील उद्दाम विलास की वह हीन साधना जटिल कर्मकाण्ड से जुड़ी थी।

सौंदर्य पर निष्ठा, सोये सौंदर्य को जगाने के लिए सूर्योदय है।

सत्य, आस्था और लगन जीवन-सिद्धि के मूल हैं।

भय की पूरी समस्या को समझने में ही आपके सारे विश्वास विदा हो जाते हैं।

जहाँ भय है वहीं विश्वास का जन्म होता है।


साधन को जब साध्य समझने की भूल की गयी तब साध्य तो दूरस्थ हो ही गया, साधन की भी महत्ता घट गई।

विश्वास वस्तुतः विभाजन का एक रूप है, अतः यह एक प्रकार की हिंसा है।
