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महात्मा गांधी पर उद्धरण

महात्मा गांधी आधुनिक

भारतीय इतिहास के उन प्रमुख व्यक्तित्वों में से एक हैं जिन्होंने न केवल समकालीन राष्ट्रीय युगबोध को आकार प्रदान किया बल्कि भविष्य की प्रेरणा की ज़मीन को भी उर्वर बनाया। इस चयन में गांधी और गांधी-दर्शन को आधार बना व्यक्त हुई अभिव्यक्तियों का संकलन किया गया है।

बिना आत्मशुद्धि के प्राणिमात्र के साथ एकता का अनुभव नहीं किया जा सकता है और आत्मशुद्धि के अभाव से अहिंसा धर्म का पालन करना भी हर तरह नामुमकिन है।

महात्मा गांधी

अंतःकरण के विषयों में, बहुमत के नियम का कोई स्थान नहीं है।

महात्मा गांधी

मुझे दुनिया को कोई नई चीज़ नहीं सिखानी है। सत्य और अहिंसा अनादि काल से चले आए हैं।

महात्मा गांधी

मैं ईश्वर की पूजा भी केवल सत्य के रूप में करता हूँ।

महात्मा गांधी

सत्याग्रह का अर्थ है विरोधी को पीड़ा देकर नहीं, अपितु स्वयं कष्ट उठाकर सत्य की रक्षा करना।

महात्मा गांधी

गौ-सेवा के बारे में दिल की बात कहूँ तो आप रोने लग जाएँ, और मैं रोने लग जाऊँ... इतना दर्द मेरे दिल में भरा हुआ है।

महात्मा गांधी

शुद्ध बनने का अर्थ है मन से, वचन से और काया से निर्विकार बनना, राग-द्वेषादि से रहित होना।

महात्मा गांधी

लार्ड कर्ज़न ने चाय पीने का फ़ैशन शुरू किया और आज यह हत्यारी बूटी सारे राष्ट्र को निगल लेने पर उतारू है। यह लाखों स्त्री-पुरुषों का हाज़मा बिगाड़ चुकी है और उनकी तंगदिली को बढ़ा रही है।

महात्मा गांधी
  • संबंधित विषय : चाय

हमें अंग्रेज़ी की आवश्यकता है, किंतु अपनी भाषा का नाश करने के लिए नहीं।

महात्मा गांधी

गीता का मध्य-बिंदु अनासक्ति है।

महात्मा गांधी

प्रथम हृदय है, और फिर बुद्धि। प्रथम सिद्धांत और फिर प्रमाण। प्रथम स्फुरणा और फिर उसके अनुकूल तर्क। प्रथम कर्म और फिर बुद्धि। इसीलिए बुद्धि कर्मानुसारिणी कही गई है। मनुष्य जो भी करता है, या करना चाहता है उसका समर्थन करने के लिए प्रमाण भी ढूँढ़ निकालता है।

महात्मा गांधी

गांधी मानते हैं कि मनुष्य का लोभ ही उसके नाश का कारण है। लेकिन मार्क्स के अनुसार यह लोभ ही मानव के इतिहास की प्रगति का लक्षण है। मार्क्स की तरह गांधी पूर्वग्रह से पीड़ित नहीं थे।

यू. आर. अनंतमूर्ति

मेरी पीढ़ी के लोगों के लिए गांधी जी कल्पना थे, जवाहरलाल जी कामना और नेताजी सुभाष कर्म। कल्पना सर्वथा द्रष्टा रहेगी, तथापि विस्तार में उसके कुछ अपने दोष थे, पर उसकी कीर्ति, मैं आशा करता हूँ कि समय के साथ चमकेगी। कामना कड़वी हो गई है और कर्म अपूर्ण रहा।

राममनोहर लोहिया

इतिहास का वह भी अंश जो चेतना-सम्पन्न होता है, आगे चलकर मिथकीय आकृति ले लेता है जैसे गौतम बुद्ध या शिवाजी अथवा अपने युग में लेनिन और गाँधी।

कुबेरनाथ राय

यदि आपको झगड़ा करके ईश्वर का नाम लेना है; तो वह नाम तो ईश्वरका होगा, पर काम शैतान का होगा।

महात्मा गांधी

ईश्वर जब आपके हृदय में जायेगा, तो आप वही करेंगे जो वह करायेगा। इसलिए हमें विचारशील प्राणी रहना चाहिए।

महात्मा गांधी

हिंदुस्तान का जीवन देहातों के जरिए ही है।

महात्मा गांधी

शांति से ही हिन्दू-मुस्लिम एकता क़ायम हो सकेगी। मैं जानता हूँ कि यह बड़ा कठिन काम है।

महात्मा गांधी

राम ईश्वर का भक्त था, इसलिए बात भी वैसी ही करता था। उसको मैंने भगवान नहीं माना है—भक्त ही माना है।

महात्मा गांधी

अहिंसा मेरा ईश्वर है और सत्य मेरा ईश्वर है।

महात्मा गांधी

'महात्मा' पद मुझे हमेशा शूल के समान चुभा है।

महात्मा गांधी

क्या कोई व्यक्ति स्वप्न में भी यह सोच सकता है कि अंग्रेज़ी भविष्य में किसी भी दिन भारत की राष्ट्रभाषा हो सकती है? फिर राष्ट्र के पाँवों में यह बेड़ी किसलिए?

महात्मा गांधी

क्रोध-भरे दिल से प्रार्थना करने में दिल की स्वच्छता नहीं हो सकती, इसलिए शांति को ही प्रार्थना समझें।

महात्मा गांधी

गांधी, बुद्ध, अशोक नाम हैं बड़े दिव्य सपनों के, भारत स्वयं मनुष्य जाति की बहुत बड़ी कविता है।

रामधारी सिंह दिनकर

गांधी जी ने जो परिवर्तन चाहा था; वह व्यक्ति का भीतरी परिवर्तन था और वह समाज का था, क्योंकि भीतर और बाहर में कोई विभेद करने वाला दर्शन था वह। सामाजिक पीड़ा को भी गांधी जी ने व्यक्ति की आंतरिक वेदना के रूप में देखा।

यू. आर. अनंतमूर्ति

जो भूमि अमर हिमालय से घिरी हुई है और गंगा की स्वास्थ्य-प्रद धाराओं से सिंचित होती है क्या वह हिंसा से अपना नाश कर लेगी?

महात्मा गांधी

जो धर्म ईश्वर का नहीं है वह शैतान का है और वह किसी काम का नहीं हो सकता।

महात्मा गांधी

जो ख़ुदा का यानी ईश्वर का दुश्मन है, वह राक्षस है।

महात्मा गांधी

असली भंगी को भीतर की भी सफ़ाई करनी होती है, जो मैं कर रहा हूँ।

महात्मा गांधी

जब नई बातें नहीं कही जातीं, तो हक़ीक़तों को तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है।

महात्मा गांधी

गांधी और मार्क्स, दोनों अपनी-अपनी संस्कृति के विशेष अनुभव के कारण ही सार्वत्रिक सच की स्थापना कर सके।

यू. आर. अनंतमूर्ति

हमारे दिल में ज्वालामुखी दहक रहा हो, तब भी ठंडा रहने में हमारी अहिंसा की परीक्षा है।

महात्मा गांधी

शास्त्रों का यानी वेद का निचोड़ इतना ही है कि ईश्वर है और वह एक ही है। कुरान का और बाइबिल का भी यही निचोड़ है।

महात्मा गांधी

सत्य से ही धर्म बढ़ता है और यह बात तो मैंने हिंदू-धर्म से ही सीखी है।

महात्मा गांधी

हमारे अगणित असुविधारूपी तालों को खोलने के लिए सताग्रहरूपी एक मुख्य कुंजी है।

महात्मा गांधी

जो मनुष्य यह कहता है कि धर्म का राजनीति से कोई संबंध नहीं है, वह धर्म को नहीं जानता; ऐसा कहने में मुझ संकोच नहीं होता और ऐसा कहने में मैं अविनय करता हूँ।

महात्मा गांधी

मेरी भक्तिपूर्ण खोज ने मुझे ‘ईश्वर सत्य है’ के प्रचलित मंत्र के बजाय ‘सत्य ही ईश्वर है’ का अधिक गहरा मंत्र दिया।

महात्मा गांधी

हर धर्म ने अपने-अपने ब्राह्मण पैदा किए हैं। वे इस नाम से पुकारे नहीं गए हैं, इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। मेरे ख़्याल से हमारे ब्राह्मण अन्य धर्मों के ब्राह्मणों की तुलना में अच्छे ही हैं।

महात्मा गांधी

मेरा विश्वास है कि अगर मैं अपने यक़ीन पर मजबूती से क़ायम रहा तो मैं सिर्फ हिंदू-धर्म की ही नहीं, इस्लाम की भी सेवा करूंगा।

महात्मा गांधी

मेरी प्रार्थना जगत को दिखाने के लिए नहीं है। मेरी प्रार्थना मन की शांति के लिए है, दिल की सफाई के लिए है।

महात्मा गांधी

मैं सनातनी हिंदू हूँ, इसलिए ईसाई, बौद्ध और मुसलमान होनेका दावा करता हूँ।

महात्मा गांधी

'विद्यार्थी' के लिए ठीक शब्द तो 'ब्रह्मचारी' है। विद्याभ्यास के समय ब्रह्मचर्य का पालन ज़रूरी है।

महात्मा गांधी

मैं यह कहने की हिम्मत करता हूँ कि बदला लेने की भावना छोड़कर अगर सब हिंदू और सिख अपने मुसलमान भाइयों के हाथों दिल में गुस्सा लाये बिना मर भी जाए तो वे सिर्फ हिंदू और सिख मज़हब की ही नहीं, इस्लाम और दुनियाकी भी रक्षा करेंगे।

महात्मा गांधी

स्वराज्य-प्राप्ति के लिए अस्पृश्यता को हटाने की बात गांधीजी की मौलिक देन थी।

वासुदेवशरण अग्रवाल

यदि आदमी शांति से रहे, कभी अपने विचारों को भीतर से देखे, जीवन भर दौड़-दंगल में ही रहे और हर वक्त गरम बना रहे तो वह उस शक्ति को पैदा नहीं कर सकता जिसे शौकत अली साहब ‘ठंडी ताकत’ कहा करते थे।

महात्मा गांधी

शांति ही प्रार्थना है।

महात्मा गांधी

गांधी जितने हिंदू हैं, उतने ही ईसाई भी।

यू. आर. अनंतमूर्ति

हमारे महाभारत में जो बात कही गई है; वह सिर्फ हिंदुओं के काम की ही नहीं है, दुनियाभर के काम की है।

महात्मा गांधी

मेरी दृष्टि से अणु-परमाणु में जो है, वही ब्रह्मांड भर में है—'यथा पिण्डे तथा ब्रह्माण्डे'—इसी सूत्र का मैं माननेवाला हूँ।

महात्मा गांधी

गांधी भी थोरो, रस्किन, टॉलस्टॉय से अवश्य प्रभावित हुए थे। भारतीय लेखकों के भी अपनी परंपरा से अलग सार्त्र, काफ़्का या दक्षिण अफ़्रीक़ा के अचिबे जैसे लोगों से प्रेरित कोने में कोई ग़लती नहीं है। लेकिन उपनिवेश की प्रेरणा आपसी लेन-देन की प्रक्रिया में, निर्यात से अधिक आयात हो जाना अत्यंत बुरा है।

यू. आर. अनंतमूर्ति