
जो मानव भिन्नत्व में एकत्व को देखता है वही प्राज्ञ माना जा सकता है।

आँखें एक जैसी होने पर भी देखने-देखने में फ़र्क़ होता है।

करुणा और समर्पण के बीच का अंतर प्रेम का सबसे अंधकारमय, सबसे गहरा क्षेत्र है।

त्यागने की संतुष्टि और अनुभव की संतुष्टि में बहुत बड़ा अंतर है।

जो वास्तविक लगता है उसे सत् नहीं माना जा सकता, वास्तविकता और सत् के बीच बहुत अंतर है।

आप मांस से बने व्यक्ति और शब्दों से बने व्यक्ति के बीच अंतर कैसे बता सकते हैं?

यह पुत्र-स्नेह धनी तथा निर्धन के लिए समान रूप से सर्वस्व धन है। यह चंदन तथा ख़श से भिन्न हृदय का शीतल लेप है।

परिहासों में रुचि का अंतर मनोभावों पर भारी तनाव डालता है।