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राज्य पर उद्धरण

राज्य तो चमचों से टिक सकता है, डाकुओं से।

राजेंद्र माथुर

राज्य अपना धर्म पालन करे या करे, मगर हमें तो अपना कर्त्तव्य पूरा करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

सरदार वल्लभ भाई पटेल

जहाँ किसान सुखी नहीं है, वहाँ राज्य भी सुखी नहीं है और साहूकार भी सुखी नहीं है।

सरदार वल्लभ भाई पटेल

जन्म और मृत्यु दो भिन्न स्थितियाँ नहीं हैं, बल्कि एक ही स्थिति के दो अलग पहलू हैं।

महात्मा गांधी

शराब, ताड़ी, अफ़ीम, भाँग, गाँजा, तम्बाकू, गोला-बारूद, अस्त्र शस्त्र आदि के जैसे जनता की नीति और आरोग्य का नाश करने वाले उद्योग, राज्य को व्यक्तिगत रूप में नहीं चलने देने चाहिए।

महात्मा गांधी

एक सभ्यता कई राज्यों में बँटी हुई हो सकती है, और वे राज्य इस हद तक एक-दूसरे से लड़ते रह सकते हैं कि सभ्यता के ख़त्म होने का ख़तरा पैदा हो जाए। यूनानी सभ्यता के साथ ऐसा ही हुआ।

राजेंद्र माथुर

बुद्धिमान मंत्री वह है जो बिना कर लगाए ही कोष की वृद्धि करता है, बिना किसी की हिंसा किए देश की रक्षा करता है तथा बिना युद्ध किए ही राज्य का विस्तार करता है।

मेरुतुंग

राज्य के दायरे में नागरिकों को नियमित और संचालित करने के लिए भारत के पास कोई समग्र सामाजिक नैतिकता आज है, पहले कभी रही। लेकिन गाँव और जाति और कुनबे के दायरे में, हर आदमी की हर साँस को नियमित करने वाली नैतिकता सदियों से हमारे साथ है—उसे राजा भी मानते रहे और दीवान भी।

राजेंद्र माथुर

निस्संदेह सशक्त सरकार और राजभक्त जनता से उत्कृष्ट राज्य का निर्माण होता है। परंतु बहरी सरकार और गूँगे लोगों से लोकतंत्र का निर्माण नहीं होता।

चक्रवर्ती राजगोपालाचारी

संस्कृति के क्षेत्र में सत्ता का हस्तक्षेप, प्रत्यक्ष और परोक्ष रूपों में निरंतर होता रहता है। संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन और नियंत्रण में राज्य की उल्लेखनीय भूमिका रही है।

श्यामाचरण दुबे

शांति राज्यों के बीच होती है कि चाहत पर आधारित होती है। एक शांति संधि कोई शादी की दावत नहीं होती।

महमूद दरवेश