राजेंद्र माथुर की संपूर्ण रचनाएँ
कविता 1
उद्धरण 39
 
                                                        मध्य युग के यूरोप को काफ़ी स्थिरता सामंतवाद ने दी। सैकड़ों सालों तक सामंतों के ख़ानदान चला करते थे, और राजा प्रायः उन्हें छू नहीं सकता था। राज्य राजा के भरोसे नहीं, बल्कि सामंतों के भरोसे चलता था। लेकिन भारत में ऐसा सामंतवाद कभी रहा ही नहीं। हमारे यहाँ सिद्धांत यह था कि राज्य की सारी ज़मीन का स्वामी राजा है। सामंत की कोई ज़मीन नहीं है। जो है, वह राजा का प्रसाद है। अतः राजा जब चाहे, तब सामंत या रियाया को ज़मीन से बेदख़ल कर सकता है। फिर घटनाएँ प्रायः राजा को भी बेदख़ल कर देती थीं। ऐसे सतत गड़बड़झाले के बीच कोई टिकाऊ राज्य कैसे क़ायम हो सकता था?
 
                        