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विनाश पर उद्धरण

जिस प्रकार अतीत नष्ट होता है उसी प्रकार भविष्य निर्मित होता है।

अल्फ़्रेड नॉर्थ व्हाइटहेड

जब पेंटिंग की बात आती है तो सबसे महत्त्वपूर्ण चीज़ों में से एक है—सही समय पर रुकने में सक्षम होना और यह जानना कि कोई तस्वीर क्या कह रही है, वह क्या कह सकती है। अगर आप बहुत लंबे समय तक लगे रहते हैं तो अक्सर तस्वीर बर्बाद हो जाएगी।

यून फ़ुस्से

यदि शंकाओं का उचित समाधान नहीं किया गया तो वे विनाश की ओर अग्रसर करती हैं।

रघुवीर चौधरी

हम अपनी तबाही के लिए ज़्यादा, निर्माण के लिए कम जाने जाएँगे।

चक पैलनिक

एक बार, मेरा जीवन मुझे मेरा जीवन बेहद संपूर्ण लगने लगा था। शायद हमको ख़ुद का विध्वंस करना होता है कि रच सकें हम कुछ नया।

चक पैलनिक

हम आप जैसे लोगों से ईर्ष्या करते हैं, और हम आप जैसा बनना चाहते हैं; हम ऐसा नहीं कर सकते, इसलिए हम तुम्हें नष्ट कर देते हैं।

अज़र नफ़ीसी

हर निर्णय मुक्ति प्रदान करता है, तब भी जब वह विनाश की ओर ले जाए। अन्यथा, क्यों इतने सारे लोग आँखें खोलकर सीधा चलते हुए अपने दुर्भाग्य में दाख़िल होते?

एलायस कनेटी

मैं उस बर्बादी के बारे में सोचकर परेशान हो जाती हूँ जो तब होती है, जब एक दूसरे से प्यार करने वाले लोग आपस में बात तक नहीं कर पाते हैं।

एलिस वॉकर

विनाश कठिन है। यह निर्माण जितना ही कठिन है।

अंतोनियो ग्राम्शी

यदि धर्म का नाश किया जाए तो वह कर्ता को नष्ट कर देता है और रक्षित धर्म कर्ता की रक्षा करता है।

वेदव्यास

जब संग्रह का अंत विनाश ही है, जब जीवन का अंत मृत्यु ही है और जब संयोग का अन्त वियोग ही है, तब इनमें कौन अपना मन लगावेगा?

वेदव्यास

यदि धर्म को नष्ट किया जाए तो वह मनुष्य का नाश कर देता है। इसमें संशय नहीं है।

वेदव्यास

धनंजय! किया हुआ पाप कहने से, शुभ कर्म करने से, पछताने से, दान करने से और तपस्या से भी नष्ट होता है।

वेदव्यास

राजा दुर्मंत्र से नष्ट हो जाता है, यति संग से, पुत्र अधिक लालन से, ब्राह्मण अध्ययन करने से, कुल कुपुत्र से शील दुष्टों के संसर्ग से, मित्रता प्रेम के अभाव से, समृद्धि अनीति से, स्नेह प्रवास में रहने से, स्त्री गर्व से, कृषि छोड़ देने से तथा धन प्रमाद से विनष्ट हो जाता है।

विष्णु शर्मा

नष्ट करना किसी भी तरह के रचने की पहली सीढ़ी है।

ई. ई. कमिंग्स

स्त्री की बुद्धि चंचल और विनाशकारी होती है।

रांगेय राघव

खाओ, पिओ, जागो, बैठो अथवा खड़े रहे, पर दिन में एक बार भी यह सोच लो कि इस शरीर का नाश निश्चय है।

अप्पय दीक्षित

आपत्तिकाल में शांति के लिए वही उपाय उत्तम माना गया है, जो भली-भाँति श्रेष्ठ धर्म के अनुकूल हो। संकट से बचने के लिए उत्तरोत्तर अधर्म करने की प्रवृत्ति तो संपूर्ण‍ जगत का नाश कर डालेगी।

वेदव्यास

यह जो सब कुछ है वह नाशवान है। ईश्वर के अतिरिक्त जितने नाम हैं, वे सब नष्ट होने वाले हैं।

शम्स तबरेज़

बुद्धिमान मनुष्य तीक्ष्ण शत्रु को तीक्ष्ण शत्रु से नष्ट कर देता है। सुख की प्राप्ति हेतु कष्टकारक काँटे को काँटे से ही निकालते हैं।

विष्णु शर्मा

विद्वान पुरुष कभी दुर्बल-से-दुर्बल शत्रुओं को नष्ट करने के लिए किसी अवसर की प्रतीक्षा नहीं करते। विशेषतः संकट में पड़े हुए शत्रुओं को मारकर बुद्धिमान पुरुष धर्म और यश का भागी होता है।

वेदव्यास

मैं जन्म लेता हूँ, बड़ा होता हूँ, नष्ट होता हूँ। प्रकृति से उत्पन्न सभी धर्म देह के कहे जाते हैं। कर्तृत्व आदि अहंकार के होते हैं। चिन्मय आत्मा के नहीं। मैं स्वयं शिव हूँ।

आदि शंकराचार्य

समय बीतने पर उपार्जित विद्या नष्ट हो जाती है, मज़बूत जड़ वाले वृक्ष भी गिर पड़ते हैं, जल भी सरोवर में जाकर (गर्मी आने पर) सूख जाता है। किंतु हुत (हवनादि किया हुआ पदार्थ) या सत्पात्त को दिए दान का पुण्य ज्यों का त्यों बना रहता है।

भास

यदि पापी अपने पाप का फल एकांत में या अपनी आत्मा ही में भोग कर चला जाता है तो वह अपने जीवन की सामाजिक उपयोगिता की एकमात्र संभावना को भी नष्ट कर देता है।

आचार्य रामचंद्र शुक्ल

पुराना नष्ट होता है, समय परिवर्तित होता है और खंडहरों में से नया जीवन उदित होता है।

फ़्रेडरिक शिलर

पराधीनता की ख़ास नींव अपने धर्म का नाश और दूसरे के धर्म की सेवा करने से पड़ती है।

श्री अरविंद

मनुष्यों में अनभ्यास से विद्या का, असंसर्ग से बुद्धिमानों का तथा अनिग्रह से इंद्रियों का विनाश हो जाता है।

दण्डी

जो संकट आने से पहले ही अपने बचाव का उपाय कर लेता है, और जिसे ठीक समय पर ही आत्मरक्षा का का कोई उपाय सूझ जाता है, ये दो ही सुखपूर्वक अपनी उन्नति करते हैं, दीर्घसूत्री नष्ट हो जाता है।

वेदव्यास

नष्ट हुई लज्जा धर्म को नष्ट कर देती है। नष्ट हुआ धर्म मनुष्य की संपत्ति का नाश कर देता है और नष्ट हुई संपत्ति उस मनुष्य का विनाश कर देती है, क्योंकि धन का अभाव ही मनुष्य का वध है।

वेदव्यास

राजन्! श्रुति है कि दर्प अधर्म के अंश से उत्पन्न संपत्ति का पुत्र है। उस दर्प ने बहुत से देवताओं और असुरों को नष्ट कर दिया है।

वेदव्यास

विद्रोही साहित्य के संबंध में एक विरोधाभास यह है कि जिन बातों का वह विध्वंस करता है, उन्हीं बातों को प्राप्त करने का वह प्रयास करता है।

भालचंद्र नेमाडे

यदि नीच के साथ शत्रुता करते हैं तो उसका यश नष्ट होता है, मैत्री करते हैं तो उनके गुण दूषित होते हैं, इसलिए विचारशील मनुष्य स्थिति की दोनों प्रकार से समीक्षा करके ही नीच व्यक्ति को अवज्ञापूर्वक दूर ही रखते हैं।

भारवि

दुष्ट बुद्धि वाला व्यक्ति अपने दोष से महापुरुषों का अतिक्रमण करता हुआ नष्ट होता है। अग्नि स्वेच्छा से शलभों को ईंधन नहीं बनाती।

माघ