ग्रीष्म पर उद्धरण

ग्रीष्मकाल के रूप में

ऋतु-परिवर्तन और जमा अनुभूतियों-अनुभवों पर लिखी कविताएँ का संग्रह।

वसंत के समीर और ग्रीष्म की लू में कितना अंतर है। एक सुखद और प्राण-पोषक, दूसरी अग्निमय और विनाशिनी। प्रेम वसंत समीर है, द्वेष ग्रीष्म की लू।

प्रेमचंद

गर्मियों की शामें प्रायः हवाहीन हुआ करती हैं।

श्रीनरेश मेहता

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