
हर निर्णय मुक्ति प्रदान करता है, तब भी जब वह विनाश की ओर ले जाए। अन्यथा, क्यों इतने सारे लोग आँखें खोलकर सीधा चलते हुए अपने दुर्भाग्य में दाख़िल होते?

ख़ुद को मुक्त करना एक बात थी, उस मुक्त निज के स्वामित्व का दावा करना और बात थी।

तुम्हें तब तक मुक्ति न मिले, जब तक मैं ज़िंदा हूँ।

अपने मूल स्वभाव को जानना ही मुक्ति है।

दुःख सबको माँजता है
और—
चाहे स्वयं सबको मुक्ति देना वह न जाने, किंतु जिनको माँजता है उन्हें यह सीख देता है कि सबको मुक्त रखें।

जीवन के तथाकथित सुखों की क्षणभंगुरता को देखो। उसका दर्शन ही, उनसे मुक्ति बन जाती है।

संसार के भोग के लिए तो मूढ़जन हज़ारों-लाखों ख़र्च कर दिया करते हैं, पर उनसे पाँच छह विल्वपत्रों से मुक्ति नहीं ख़रीदी जाती।

वृद्धों और पागलों पर कोई दया नहीं करता।
