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जीवित पर उद्धरण

हम जिन्हें छोड़ गए हैं उन हृदयों में जीवित रहना मृत्यु नहीं है।

थॉमस कैंपबेल

एक बार जब बुराई व्यक्तिगत हो जाती है, रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन जाती है तो उसका विरोध करने का तरीक़ा भी व्यक्तिगत हो जाता है। आत्मा कैसे जीवित रहती है? यह आवश्यक प्रश्न है। और उत्तर यह है : प्रेम और कल्पना से।

अज़र नफ़ीसी

हममें से हर किसी का कुछ कुछ क़ीमती खो रहा है। खोए हुए अवसर, खोई हुई संभावनाएँ, भावनाएँ… जो हम फिर कभी वापस नहीं पा सकते। यह जीवित रहने के अर्थ का एक हिस्सा है।

हारुकी मुराकामी

जितना आप प्रकट होते हैं और जहाँ आप प्रकट होते हैं, अपने आप पर उतना ही और केवल वहीं विश्वास करें। जो देखा नहीं जा सकता, फिर भी अस्तित्व में है, सर्वत्र है और शाश्वत है। आख़िरकार हम वही हैं।

रघुवीर चौधरी

जो कोई भी मैकियावेली को ध्यान से पढ़ता है, वह जानता है कि दूरदर्शिता इसी बात में है कि कभी किसी को धमकी दी जाए, बिना कहे कर गुज़रा जाए; दुश्मन को पीछे हटने के लिए बाध्य तो किया जाए पर कभी, जैसाकि कहते हैं, साँप की दुम पर क़दम रखा जाए; और अपने से नीची हैसियत के किसी भी व्यक्ति के अभिमान को चोट पहुँचाने से हमेशा बचा जाए। किसी व्यक्ति के हित को, चाहे वह उस समय कितना भी बड़ा क्यों हो, पहुँची चोट कालांतर में क्षमा की या भुलाई जा सकती है; लेकिन अभिमान और दंभ को लगा घाव कभी भरता नहीं है, कभी भुलाया नहीं जाता। आत्मिक व्यक्तित्व भौतिक व्यक्तित्व से ज़्यादा संवेदनशील, या यूँ कहें कि ज़्यादा सजीव होता है। संक्षेप में, हम चाहे जो भी करें, हमारा आंतरिक व्यक्तित्व ही हमें शासित करता है।

ओनोरे द बाल्ज़ाक

मैं जब तक जीवित रहूँगा, उनकी नक़ल नहीं करूँगा या उनसे अलग होने के लिए ख़ुद से नफ़रत नहीं करूँगा।

ओरहान पामुक

यह सब संसार असार क्षणिक है। पक्षी आँगन में दाना चुगने के लिए आते हैं और चुग कर उड़ जाते हैं।लड़कियाँ घरौंदे बनाती हैं, गुड्डों-गुड़ियों के विवाह करती हैं और फिर सब खिलौनों को तोड़ डालती हैं। यात्री आकर किसी वृक्ष के नीचे रात को विश्राम लेते हैं और प्रातःकाल होते ही उठकर चले जाते हैं। मार्ग में बहुत से लोगों से भेंट होती है परंतु इन लोगों से कोई मोह या संबंध नहीं जोड़ता। इसी प्रकार जब तक इस संसार में प्रारब्धानुसार जीवित रहता है तब तक उदासीन अलिप्त रहना चाहिए।

संत एकनाथ

समाज ने स्त्रीमर्यादा का जो मूल्य निश्चित कर दिया है, केवल वही उसकी गुरुता का मापदंड नहीं। स्त्री की आत्मा में उसकी मर्यादा की जो सीमा अंकित रहती है, वह समाज के मूल्य से बहुत अधिक गुरु और निश्चित है, इसी से संसार भर का समर्थन पाकर जीवन का सौदा करने वाली नारी के हृदय में भी सतीत्व जीवित रह सकता है और समाज भर के निषेध से घिर कर धर्म का व्यवसाय करने वाली सती की साँसें भी तिल-तिल करके असती के निर्माण में लगी रह सकती हैं।

महादेवी वर्मा

घोर अंधकार में जिस प्रकार दीपक का प्रकाश सुशोभित होता है उसी प्रकार दुःख का अनुभव कर लेने पर सुख का आगमन आनंदप्रद होता है किंतु जो मनुष्य सुख भोग लेने के पश्चात् निर्धन होता है वह शरीर धारण करते हुए भी मृतक के समान जीवित रहता है।

शूद्रक

…सितारे सिर्फ़ सुंदर ही नहीं, वे जंगल के पेड़ों की तरह हैं। वे जीवित हैं और साँस ले रहे हैं और मुझे देख रहे हैं।

हारुकी मुराकामी

मैं, मृत्यु को ज़िंदा रहकर, दुःख सहकर, ग़लतियाँ करके, ज़ोखिम उठाकर, देकर, गँवाकर स्थगित करती हूँ।

अनाइस नीन

अगर तुम जीना चाहते हो तो तुम्हें पहले अपने अंतिम संस्कार में शामिल होना चाहिए।

कैथरीन मैंसफ़ील्ड

मरेंगे हम सब। सवाल ज़िंदा रहने का नहीं है, सवाल वह रचने का है जो ज़िंदा रह सके।

चक पैलनिक

जीवित रहना और एक लेखक होना ही काफ़ी है।

कैथरीन मैंसफ़ील्ड

अगर सब कुछ ख़त्म हो जाए और सिर्फ़ वही बचा रह जाए, तो मैं ज़िंदा रहूँगी : और अगर उसके सिवाय सब कुछ बचा रह जाता है, मेरी लिए दुनिया अजनबी हो जाएगी।

एमिली ब्रॉण्टे

तुम्हें तब तक मुक्ति मिले, जब तक मैं ज़िंदा हूँ।

एमिली ब्रॉण्टे

जीवित रहना बिना प्यास के पानी पीने के समान है।

ऐनी एरनॉ

दिन के पूर्व भाग में जो जीवित सूर्य दिखाई देता है, उसके अंतिम भाग में वही अंगारों का पुंजमात्र रह जाता है, जिसे लाखों श्रेष्ठ व्यक्ति प्रणाम करते हैं, वही स्वामी असमय में अकेला ही मर जाता है।

स्वयंभू

मृतकों पर दया मत करो… ज़िंदा लोगों पर तरस खाओ, और, सबसे ज़्यादा उन पर जो प्यार के बिना रहते हैं।

जे. के. रोलिंग

मैं उसी वक़्त ख़ुद को ज़िंदा पाता हूँ जिस वक़्त मैं चित्र बना रहा होता हूँ।

विन्सेंट वॉन गॉग

मृत होना ज़िंदा होना नहीं है।

ई. ई. कमिंग्स

मैं नहीं जानती कि कैसे लड़ना है। मुझे सिर्फ़ इतना पता है कि कैसे ज़िंदा रहना है।

एलिस वॉकर

तुम आदि मानव की प्रिया हो। तुम संपूर्ण जगत की माता हो। संजीवनी अमृत पिलाकर तुम रूप देती हो। तुम प्रेरणा की अनुभूति को मधुर मातृत्व में ढालकर अपने प्राण न्योछावर कर जाति को जीवित रखती हो।

नलिनीबाला देवी

प्रिय पाठक, निबंध जीवित है। निराश होने का कोई कारण नहीं है।

वर्जीनिया वुल्फ़

क्या कोई भी व्यक्ति धार्मिक निष्ठा के बिना जीवित रह सकता है, चाहे इसे कोई भी नाम दिया जाए?

डेबोरा फ़ेल्डमैन

जब तक हम दुख उठाते हैं, हम ज़िंदा हैं।

ग्राहम ग्रीन
  • संबंधित विषय : दुख

असल में ज़िंदा मनुष्य तटस्थ नहीं रह सकता है।

नदीन गोर्डिमर

मैं कर सकती हूँ, इसलिए मैं ज़िंदा हूँ।

सिमोन वेल

जब हमें यक़ीन नहीं होता है, तब हम जीवित होते हैं।

ग्राहम ग्रीन

शोभा, शासन, राज्य, मिट्टी और धूल के अतिरिक्त क्या हैं? और हम चाहे जैसे जीवित रहें, अंत में मरना तो पड़ेगा ही।

विलियम शेक्सपियर

मुहब्बत रूह की खुराक है। यह वह अमृत की बूँद है जो मरे हुए भावों को ज़िंदा कर देती है। मुहब्बत 'आत्मिक वरदान है। यह ज़िंदगी की सबसे पाक, सबसे ऊँची, सबसे मुबारक बरकत है।

प्रेमचंद

आश्चर्य है, वैद्य मरते हैं, डॉक्टर मरते हैं, उनके पीछे हम भटकते हैं। लेकिन राम जो मरता नहीं है, हमेशा ज़िंदा रहता है और अचूक वैद्य है, उसे हम भूल जाते हैं।

महात्मा गांधी

क्या मैं अपने ही देश में ग़ुलामी करने के लिए ज़िंदा रहूँ? नहीं, ऐसी ज़िंदगी से मर जाना अच्छा। इससे अच्छी मौत मुमकिन नहीं।

प्रेमचंद

प्रायः अबलाओं के जीवित रहने का अवलंबन पति होता है या संतान।

बाणभट्ट

जन्म के बाद से मनुष्य लगातार मृत्यु की तरफ बढ़ता रहता है। बीच के ये दो दिन ही उसके कर्म के होते हैं। यह कर्म वह किस तरह करता है, इसी पर उसका मूल्यांकन किया जाता है।

बिमल मित्र

संसार से प्रतिदिन प्राणी यमलोक में जा रहे हैं किंतु जो बचे हुए हैं, वे सर्वदा जीते रहने की इच्छा करते हैं। इससे बढ़कर आश्चर्य और क्या होगा?

वेदव्यास

महाभारत में पाँच प्रकार के व्यक्ति जीते हुए भी मरे के समान बताए गए हैं—दरिद्र, रोगी, मूर्ख प्रवासी तथा नित्य सेवा करने वाला।

विष्णु शर्मा

प्रेम और स्नेह की ज्योति स्त्री के कारण जीवित है।

रांगेय राघव

हाय! कालरूप पाचक हर क्षण प्राणियों के शरीरों में अवस्था परिवर्तन करता रहता है फिर भी उनकी समझ में कुछ नहीं आता।

कल्हण

उपासनीय कौन है? जो सरस है सरस कोन है? जो प्रेम का स्थान है। प्रेम क्या है? जिसमें वियोग हो। वह वियोग कौन सा है? जिससे प्रेमी जीवित नहीं रहते।

कवि कर्णपूर

धर्म-हीन जीवित मनुष्य को मरे हुए के समान मानना चाहिए। धर्म-युक्त रहा मृत व्यक्ति भी निस्संदेह दीर्घजीवी ही है।

चाणक्य

अहिंसा कायरता के आवरण में पलने वाला क्लैब्य नहीं है। वह प्राण-विसर्जन की तैयारी में सतत जागरूक पौरुष है।

मुनि नथमल

जब तक माता जीवित रहती है, मनुष्य सनाथ रहता है और उसके रहने पर वह अनाथ हो जाता है।

वेदव्यास

जब मृतक पीछे छूट गए लोगों की आत्माओं में जीवित रहते हैं, तब वे वास्तव में मृत कैसे हो सकते हैं?

कार्सन मैक्कुलर्स

ईश्वर को जानना अपने आंशिक ज्ञान में जीवित रहना है।

सुमित्रानंदन पंत

विद्वानों का कहना है कि शरीरधारियों के लिए मरना स्वाभाविक है, जीना ही विकार है।

कालिदास

अगर शेक्सपियर आज ज़िंदा होते तो शायद वह ट्विटर पर लिख रहे होते।

आई वेईवेई

जीवित ही मृत के समान कौन है? जो पुरुषार्थहीन है।

आदि शंकराचार्य

सुख की अवस्था से जो दरिद्रता की दशा को प्राप्त होता है, वह तो शरीर से जीवित रहते हुए भी मृतक के समान ही जीता रहता है।

भास

ज़िंदा को मुर्दा और मुर्दा को ज़िंदा समझना भ्रम भी है और ज्ञान भी।

सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'