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संत एकनाथ

1533 - 1599

मराठी संत, तत्त्वज्ञ और कवि। विट्ठल के भक्त। वारकरी आंदोलन में योगदान।

मराठी संत, तत्त्वज्ञ और कवि। विट्ठल के भक्त। वारकरी आंदोलन में योगदान।

संत एकनाथ की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 13

यह सब संसार असार क्षणिक है। पक्षी आँगन में दाना चुगने के लिए आते हैं और चुग कर उड़ जाते हैं।लड़कियाँ घरौंदे बनाती हैं, गुड्डों-गुड़ियों के विवाह करती हैं और फिर सब खिलौनों को तोड़ डालती हैं। यात्री आकर किसी वृक्ष के नीचे रात को विश्राम लेते हैं और प्रातःकाल होते ही उठकर चले जाते हैं। मार्ग में बहुत से लोगों से भेंट होती है परंतु इन लोगों से कोई मोह या संबंध नहीं जोड़ता। इसी प्रकार जब तक इस संसार में प्रारब्धानुसार जीवित रहता है तब तक उदासीन अलिप्त रहना चाहिए।

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पराई स्त्री और पराया धन जिसके मन को अपवित्र नहीं करते, गंगादि तीर्थ उसके चरण-स्पर्श करने की अभिलाषा करते हैं।

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जागृति का जो विस्मरण है वही स्वप्नसृष्टि का विस्तार है। वस्तु से विमुख जो अहंकार है वही त्रिगुणात्मक संसार है।

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धन जोड़कर भक्ति का दिखावा करने से कोई लाभ नहीं क्योंकि ऐसा करने से मन में वासना और भी बढ़ती जाएगी। जिनका चित्त वासनाओं में फँसा हुआ है, उन्हें अंतरात्मा के दर्शन कैसे हो सकते हैं?

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प्रेम के बिना श्रुति, स्मृति, ज्ञान, ध्यान, पूजन, श्रवण, कीर्तन सब व्यर्थ है।

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