प्रकाश पर उद्धरण
प्रकाश का संबंध हमारे
दृश्य संसार से है। प्रकाश अंधकार के प्रतिरोध की प्रतीति भी है। इस चयन में प्रकाश एवं उसके विभिन्न शब्द और अर्थ पर्यायों के साथ अभिव्यक्त कविताओं का संकलन किया गया है।
वह क्यों चीज़ों को बाहर से छुए जो उनके भीतर से धधक कर उन्हें दीप्त कर देता है?
सच्ची रोशनी भीतर से पैदा होती है।
तुम्हारे ऊपर जो प्रकाश है, उसे पाने का एक ही साधन है—तुम अपने भीतर का आध्यात्मिक प्रदीप जलाओ, पाप और अपवित्रता का तमिस्त्र स्वयं भाग जाएगा। तुम अपनी आत्मा के उदात्त रूप का चिंतन करो, गर्हित रूप का नहीं।