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ब्रह्मांड पर उद्धरण

लेखक को अपनी पुस्तक में ब्रह्मांड में ईश्वर की तरह होना चाहिए, जो हर जगह मौजूद है और कहीं भी दिखाई नहीं देता है।

गुस्ताव फ़्लॉबेयर

शब्दों के ब्रह्मांड में सोलह-सोलह सूर्य प्रज्वलित रहे हैं। वहाँ कुछ भी बाधित नहीं है, सब कुछ पूर्ण है, प्रचुर है।

रघुवीर चौधरी

जब हम अपने वैश्विक दृष्टिकोण में चंद्रमा के अँधेरे पक्ष को शामिल कर लेंगे, केवल तभी हम सर्वव्यापी संस्कृति पर गंभीरता से बात कर सकते हैं।

शुलामिथ फ़ायरस्टोन

ब्रह्मांड कितना बड़ा है, यह बड़ा सवाल नहीं है, मनुष्य की बुद्धि कितनी बड़ी है, यही बड़ा सवाल है।

हजारीप्रसाद द्विवेदी

जो है नहीं, उस चित्र को दिखाती है, पर होती है केवल दीवार। उसी प्रकार संपूर्ण जगदाकार से जो प्रकाशित होती है, वह संवित्ति (संवित्, चेतना) है।

ज्ञानेश्वर

एक क्षण के लिए यदि आप शांत बैठकर ऐसा विचार करें कि आप विश्वमानव हैं, आप अनंत शक्ति हैं, तो आप देखेंगे कि आप वास्तव में वही हैं।

रामतीर्थ

यह ब्रह्मांड निरवच्छिन्न सुखों का अखंड भंडार है।

पुष्पदंत
  • संबंधित विषय : सुख

इस समस्त विश्व के रचयिता और पिता को प्राप्त करना बहुत कठिन है तथा उसे पाकर सबको बताना असंभव ही है।

प्लेटो

यदि अच्छी तरह से सांत्वना पूर्ण, मधुर एवं स्नेहयुक्त वचन बोला जाए और सदा सब प्रकार से उसी का सेवन किया जाए तो उसके समतुल्य इस जगत में निस्संदेह कुछ नहीं है।

वेदव्यास

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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