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अकेले पर उद्धरण

अकेले स्वादिष्ट भोजन करे, अकेले किसी विषय का निश्चय करे, अकेले रास्ता चले और बहुत से लोग सोए हों तो उनमें अकेला जागता रहे।

वेदव्यास

क्या आपको नहीं लगता कि सब कुछ और हर किसी से छुटकारा पाकर बस किसी ऐसी जगह चले जाना अच्छा होगा जहाँ आप किसी व्यक्ति को नहीं जानते हैं?

हारुकी मुराकामी

मैं बारिश की याद के साथ, अचानक फिर से धूप वाले रास्ते पर अकेली रह गई हूँ।

अज़र नफ़ीसी

यदि तेरी पुकार सुनकर कोई आए तो तू अकेला ही चल।

रवींद्रनाथ टैगोर

वही सबसे तेज़ चलता है जो अकेला चलता है।

जोसेफ रुडयार्ड किपलिंग

जो इच्छाओं से अभिभूत हैं, वे मर्त्य लोक में क्या, स्वर्ग में भी शांति नहीं पाते। तृष्णावान को काम से तृप्ति नहीं होती, जैसे हवा का साथ पाकर अग्नि की ईंधन से तृप्ति नहीं होती।

अश्वघोष

यह कैसे हो सकता है कि कोई अपना रास्ता चुने भी, और उस पर अकेला भी हो। राजमार्ग पर चलने वाले रास्ता नहीं चुनते; रास्ता उन्हें चुनता है।

अज्ञेय

प्रत्येक वस्तु जो जीवित है, तो अकेली जीवित है और अपने लिए ही जोवित है।

विलियम ब्लेक

कौन मनुष्य किसका बंधु है? किसको किससे क्या प्राप्त होता है? प्राणी अकेला ही उत्पन्न होता है और अकेला ही नष्ट हो जाता है।

वाल्मीकि

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

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