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शम्स तबरेज़ी

1185 - 1248 | तबरिज़

फ़ारस के सूफी संत, रहस्यवादी और दार्शनिक। रूमी के आध्यात्मिक गुरु के रूप में समादृत।

फ़ारस के सूफी संत, रहस्यवादी और दार्शनिक। रूमी के आध्यात्मिक गुरु के रूप में समादृत।

शम्स तबरेज़ी की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 122

ख़ुद के प्रति समर्पण ही सच्ची शक्ति है—वह शक्ति जो भीतर से आती है।

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जब तू बुद्धि को अपना पथ-प्रदर्शक मानता है, उस समय तू यह नहीं विचार करता कि तू पूर्ण है और तुझमें तेरे अंश बुद्धि में अंतर है।

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हर किसी का समय तय है। एक व्यक्ति कब प्यार में पड़ेगा और कब इस दुनिया को अलविदा कहेगा, इन सबका समय तय है।

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इस दुनिया में उतने ही नकली और क्षुद्र गुरु हैं, जितने आसमान में तारे हैं।

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सत्य का मार्ग खोजने के लिए हमें दिमाग़ की नहीं, बल्कि दिल की ज़रूरत होती है। सच्चा मार्ग खोजने के लिए हमें अपने दिमाग़ की नहीं, बल्कि दिल की राह पर चलना चाहिए।

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