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जोसेफ रुडयार्ड किपलिंग

1865 - 1936 | मुंबई, महाराष्ट्र

ब्रिटिश लेखक। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।

ब्रिटिश लेखक। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।

जोसेफ रुडयार्ड किपलिंग की संपूर्ण रचनाएँ

कहानी 1

 

उद्धरण 5

हमारी जन्मभूमि, धर्मभूमि, गौरवभूमि! तेरे लिए हमारे पूर्वजों ने मृत्यु का वरण किया। हे मातृभूमि! हम भविष्य के लिए तुझे अपना मस्तक, हृदय और हाथ अर्पित करते हैं।

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वही सबसे तेज़ चलता है जो अकेला चलता है।

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हे जन्मभूमि! हम उन आगामी वर्षों में अपना प्रेम और कठोर परिश्रम तुझे अर्पित करते हैं जब हम बड़े होकर अपनी जाति में पुरुषों और स्त्रियों के रूप में अपना स्थान ग्रहण करेंगे।

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हर व्यक्ति किसी किसी बात पर कम या ज़्यादा पागल होता है।

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हे ईश्वर! हम भीड़ के भय अथवा कृपा से संत्रस्त हुए बिना तेरे साथ चल सकें।

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