सच पर उद्धरण

झूठ से सच्चाई और गहरी हो जाती है—अधिक महत्त्वपूर्ण और प्राणवान।

गजानन माधव मुक्तिबोध

हम इनसान हैं, मैं चाहता हूँ इस वाक्य की सचाई बची रहे।

मंगलेश डबराल

मेरा डर मेरा सच एक आश्चर्य है।

रघुवीर सहाय

सत्य इतना विराट है कि हम क्षुद्र जीव व्यवहारिक रूप से उसे संपूर्ण ग्रहण करने में प्रायः असमर्थ प्रमाणित होते हैं।

जयशंकर प्रसाद

उन लोगों से सच मत कहो जो उसे ग्रहण करने के योग्य हों।

मार्क ट्वेन

बच्चे झट से सत्य के आस-पास पहुँच जाते हैं।

स्वदेश दीपक

मूर्खता सरलता का सत्यरूप है।

जयशंकर प्रसाद

जो लोग कविता से निरी कलात्मकता की अपेक्षा करते हैं, वे कविता के वस्तु-सत्य को गौण रखना चाहते हैं।

ऋतुराज

सच्चाई की कानाफूसी नहीं होती।

ज्ञानरंजन

मैं ऐसे छोटे-छोटे झूठ बोलता हूँ जिनसे दूसरों को कोई नुक़सान नहीं होता। लेकिन उनसे मेरा नुक़सान ज़रूर होता है।

मंगलेश डबराल

सत्य कभी भी दयावान नहीं होता। हम कहाँ चुन सकते हैं अपना भाग्य।

स्वदेश दीपक

सचाई कहाँ है—मैं आज तक नहीं समझ पाया।

धर्मवीर भारती

प्रमाद में मनुष्य कठोर सत्य का भी अनुभव नहीं कर सकता।

जयशंकर प्रसाद

सत्य कभी दया नहीं करता।

स्वदेश दीपक

स्वप्नद्रष्टा या निर्माता वही हो सकता है, जिसकी अंतर्दृष्टि यथार्थ के अंतस्तल को भेदकर उसके पार पहुँच गई हो, जो उसे सत्य समझकर केवल एक परिवर्तनशील अथवा विकासशील स्थिति भर मानता हो।

सुमित्रानंदन पंत

सत्य को कभी भी एक पार्श्व से नहीं देखा जा सकता। उस तरह से देखने पर उसका केवल आधा चेहरा दिखाई देता है।-38

शंख घोष

तत्त्व का प्रमाण, स्वयं तत्त्व ही है।

श्रीनरेश मेहता

मानव-एकता के सत्य को हम मनुष्य के भीतर से ही प्रतिष्ठित कर सकते हैं, क्योंकि एकता का सिद्धांत अंतर्जीवन या अंतश्चेतना का सत्य है।

सुमित्रानंदन पंत

सच हथेली पर उग आया अंगारा होता है।

स्वदेश दीपक

हम एक ऐसी सभ्यता में रहते हैं, जिसने सत्य को खोजने के लिए सब रास्तों को खोल दिया है, किंतु उसे पाने की समस्त संभावनाओं को नष्ट कर दिया है।

निर्मल वर्मा

सत्य सदा एक ही होता है।

श्रीनरेश मेहता

समस्त सत्य केवल मात्र मानवीय सत्य है, उसके बाहर या ऊपर किसी भी सत्य की कल्पना संभव नहीं है।

सुमित्रानंदन पंत

मैं वह झूठ हूँ, जो हमेशा सच बोलता है।

ज़्यां कॉक्त्यू
  • संबंधित विषय : झूठ

जब तक सच जूते पहन रहा होता है, तब तक झूठ पूरी दुनिया के चक्कर लगा कर जाता है।

मार्क ट्वेन
  • संबंधित विषय : झूठ

"सच बोलने के बाद, तुम्हें कुछ भी याद रखने की ज़रूरत नहीं है"

मार्क ट्वेन

सत्य कहना, क्रांतिकारी होना है।

अंतोनियो ग्राम्शी

नंगे यथार्थ को ठंडेपन से ही ग्रहण किया जा सकता है, भावना से नहीं।

मलयज

शाश्वत सत्य का समावेश ही काव्य और कला को स्थायित्व प्रदान करता है।

देवीशंकर अवस्थी

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

पास यहाँ से प्राप्त कीजिए