हे माँ! तुममें ही कामधेनु की सामर्थ्य है। तुम मंगलधाम हो, तपस्वियों का अद्वैत हो। तुममें सागर की गंभीरता है, पृथ्वी की उदारता है। तुम्हारे नेत्रों में शांत चंद्रमा का तेज़ है और हृदय में मेघमालाओं का सघन वात्सल्य। हे मां! इन सब गुणों का वास तुम में ही है