रुचि वस्तुओं को स्वीकार्य बना देती है।
स्वीकारोक्ति को आपके नए जीवन का अंग बनना पड़ेगा।
मेरे विचारों का दायरा संभवतः मेरी अपेक्षा से कहीं अधिक सँकरा है।
चुंबन भी एक कर्मकांड है, किंतु वह सड़ी हुई औपचारिकता नहीं है। पर कर्मकांड वहीं तक स्वीकार्य है, जहाँ तक वह चुंबन की तरह प्रामाणिक है।