
महापुरुषों में ही इस तरह उदारता की अधिकता होती है जो अन्य लोगों में नहीं होतीं और जिससे वे त्रिभुवन को अपने वश में कर लेते हैं।

क्षमा और उदारता वही सच्ची है, जहाँ स्वार्थ की भी बलि हो।


महापुरुषों में ही इस तरह उदारता की अधिकता होती है जो अन्य लोगों में नहीं होतीं और जिससे वे त्रिभुवन को अपने वश में कर लेते हैं।
क्षमा और उदारता वही सच्ची है, जहाँ स्वार्थ की भी बलि हो।