
सत्पुरुषों की महानता उनके अंतःकरण में होती है, न कि लोगों की प्रशंसा में।

अपने देश के प्रति मेरा जो प्रेम है, उसके कुछ अंश में मैं अपने जन्म के गाँव को प्यार करता हूँ। और मैं अपने देश को प्यार करता हूँ पृथ्वी— जो सारी की सारी मेरा देश है—के प्रति अपने प्रेम के एक अंश में। और मैं पृथ्वी को प्यार करता हूँ अपने सर्वस्व से, क्योंकि वह मानवता का, ईश्वर का, प्रत्यक्ष आत्मा का निवास-स्थान है।

मानव को अपने राष्ट्र की सेवा के ऊपर किसी विश्व-भावना व आदर्श को पहला स्थान नहीं देना चाहिए।... देशभक्ति तो मानवता के लक्ष्य विश्वबंधुत्व का ही एक पक्ष है।

मृत्यु वास्तव में मानवता के लिए एक महान वरदान है, इसके बिना कोई वास्तविक प्रगति नहीं हो सकती।

ख़ुद को मनुष्यता की कसौटी पर कसो, यह अनास्थावान को अनास्था और आस्थावान को आस्था की ओर अग्रसर करता है।

हम मानवता से प्यार नहीं कर सकते हैं। हम केवल मानव से प्यार कर सकते हैं।


हर शिशु इस संदेश के साथ जन्मता है कि इश्वर अभी तक मनुष्यों के कारण शर्मसार नहीं है।

जो मानवीय जगत् की मानवता की आधारशिला है, जिस पर मानवता टिकी है, उसे धर्म कहते हैं।

अच्छा भोजन करने के बाद मैं अक्सर मानवतावादी हो जाता हूँ।

मनुष्य कभी वह नहीं होता जो वह है, बल्कि वह होता है जो वह खोजता है।

नदियों के नाम तुम्हारे साथ रहते हैं। वे नदियाँ कितनी अंतहीन लगती हैं! तुम्हारे खेत ख़ाली पड़े हैं, शहर की मीनारें पहले जैसी नहीं रहीं। तुम सीमा पर खड़े होकर मौन हो।

एक इंसान दूसरे इंसान से मायूस हो सकता है, लेकिन इंसानियत से मायूस नहीं होना चाहिए।

और जब लोग यह मानना बंद कर देंगे कि अच्छा और बुरा कुछ होता है, केवल सुंदरता उन्हें पुकारेगी और बचाएगी ताकी वे जान सकें कि क्या सच है और क्या झूठ।

कोई खोजता है, और उसे नाम देता है। जीतता है और सभ्य बनाता है।

एक वस्तु का अपना प्राकृतिक गुण होता है। व्यक्ति का भी अपना प्राकृतिक गुण होता है। मूल्य व्यक्ति और वस्तु के प्राकृतिक गुण का न लगाया जाकर प्राय: दूसरों की उस गुण को बेचने की शक्ति का लगाया जाता है।

वह मुस्कराहट जो तहों में छिपे हुए मनुष्यत्व को निखारकर बाहर ले आती है, यदि सोद्देश्य हो तो, वह उसके सौंदर्य की वेश्यावृत्ति है।

एक मनुष्य का दूसरे मनुष्य के प्रति प्रेम महसूस करना, शायद यह सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है, जो मनुष्यों को दी गई है। यही अंतिम संकट है। यह वह कार्य है जिसके लिए बाकी सभी कार्य मात्र एक तैयारी हैं।

मनुष्य का सच्चा शत्रु सामान्यीकरण है।

अंधी अज्ञानता हमें गुमराह करती है। अरे! दुष्ट मनुष्यों, अपनी आँखें खोलो!

मेरा मानना है कि प्यार और सम्मान करने की क्षमता, मनुष्य को दिया हुआ ईश्वर का सबसे बड़ा उपहार है।

आदमी और देवता में यही फ़र्क़ है शायद। ज़हर अकेले शिव पीते हैं। ज़हर अकेला सुकरात पीता है। सलीब पर अकेले ईसा चढ़ते हैं। दुनिया त्यागकर एक अकेला राजकुमार निकलता है।

यह हमारे साथ कितना बड़ा अन्याय है, हम कितने ही चरित्रवान हों, कितने ही बुद्धिमान हों, कितने ही विचारशील हों, पर अँग्रेज़ी भाषा का ज्ञान न होने से उनका कुछ मूल्य नहीं, हमसे अधम और कौन होगा कि इस अन्याय को चुपचाप सहते हैं। नहीं बल्कि उसपर गर्व करते हैं।

ग़लत धारणाओं को छोड़ने में समय लगता है। अचानक से ऐसा होने पर वे मन में सड़ने लगती हैं।

साधारण दुर्बल मनुष्य यदि भाषा का मिथ्याचारी के रूप में उपयोग करता है तो करे, लेखक का काम होता है कि वह उस मनुष्य को उसके झूठ की शर्मिंदगी के बारे में बता दें।

स्वतंत्रता का अर्थ है – हमारे साथ जो हुआ हम उसके साथ क्या करते हैं।

अब कोई केवल शरीफ़ नहीं रह गया है। हर शरीफ़ के साथ एक दुमछल्ला लगा हुआ है। हिंदू शरीफ़ मुसलमान शरीफ़, उर्दू शरीफ़, हिंदी शरीफ़ और बिहार शरीफ़! दूर-दूर तक शरीफ़ों का एक जंगल फैला हुआ है।

मानवीय अनुभव प्रतिदिन यह स्पष्ट करता है कि उच्चतम विचार जो हम प्राप्त कर सकते हैं, उस रहस्यमय सत्य से अभी भी कहीं निम्नतर रहेगा, जिसकी हम खोज कर रहे हैं।

मनुष्य के भीतर जो कुछ वास्तविक है, उसे छिपाने के लिए जब वह सभ्यता और शिष्टाचार का चोला पहनता है, तब उसे सम्हालने के लिए व्यस्त होकर कभी-कभी अपनी आँखों में ही उसको तुच्छ बनना पड़ता है।

मनुष्य हर विवेक से ऊपर है–एक चेतना, जो प्रकृति का नहीं बल्कि इतिहास का उत्पाद है।