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इतिहास पर उद्धरण

एक रमणीय स्त्री का सारा इतिहास प्रेम का इतिहास होता है।

स्वदेश दीपक

मनुष्य मात्र को इतिहास और राजनीति नहीं एक कविता चाहिए।

श्री नरेश मेहता

इतिहास, रात में एक पुराने मकान सरीखा है, जिसकी सारी बत्तियाँ रोशन हों और अंदर पुर्खे फुसफुसा रहे हों। इतिहास को समझने के लिए हमें अंदर जाकर यह सुनना होगा कि वे क्या कह रहे हैं। और किताबों और दीवार पर टंगी तस्वीरों को देखना होगा। और गंध सैंधनी होगी। मगर हम भीतर नहीं जा सकते क्योंकि दरवाज़े हमारे लिए बंद हैं। और जब हम खिड़कियों से भीतर झाँकते हैं, हमें सिर्फ़ परछाइयों दिखाई देती हैं। और जब हम सुनने की कोशिश करते हैं, हमें सिर्फ़ फुसफुसाहटें सुनाई देती हैं। और हम फुसफुसाहटों को समझ नहीं पाते क्योंकि हमारे दिमाग़ों में एक युद्ध छिड़ा हुआ है। एक युद्ध जिसे हमने जीता भी है और हारा भी है। सबसे ख़राब क़िस्म का युद्ध। ऐसा युद्ध जो सपनों को बंदी बनाता है और उन्हें फिर से सपनाता है। ऐसा युद्ध जिसने हमें अपने विजेताओं की पूजा करने और अपना तिरस्कार करने पर मजबूर किया है।

अरुंधती रॉय

समय या इतिहास में लौटना एक सैद्धांतिक संभावना तो है ही और समर्थ रचनाकारों के हाथों में यह एक सशक्त हथियार रहा है।

विष्णु खरे

जिसे मानवता के इतिहास का एहसास नहीं है, उसे मानवता के वर्तमान और भावी संकटों का एहसास भी नहीं हो सकता।

विष्णु खरे

इतिहास अलग-अलग बरसों या क्षणों का नाम नहीं है बल्कि इतिहास नाम है समय की आत्मकथा का।

राही मासूम रज़ा

इतिहास सिखाता है लेकिन उससे शिक्षा कोई नहीं लेता।

अंतोनियो ग्राम्शी

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