गुप्त शासन में राष्ट्रीयता और साम्राज्यवाद मौर्य साम्राज्य का अवसान हुआ और उसकी जगह शुंग वंश ने ले ली जिसका शासन अपेक्षाकृत बहुत छोटे क्षेत्र पर था। दक्षिण में बड़े राज्य उभर रहे थे और उत्तर में काबुल से पंजाब तक बाख्त्री या भारतीय-यूनानी फैल गए थे।
कोई दो हज़ार वर्ष हुए, सी ह्यांग ती नाम का एक चीनी सम्राट था। उसे अपनी प्रजा से एक अजीब नाराज़गी थी कि लोग इतना पढ़ते क्यों हैं, और जो लोग किताबें पढ़ नहीं सकते, वे उन्हें सुनते क्यों हैं? उसको विश्वास नहीं था कि अब तक जो पुस्तकें लिखी गई हैं—वे चाहे
भारत के अतीत की सबसे पहली तस्वीर उस सिंधु घाटी सभ्यता में मिलती है, जिसके अवशेष सिंध में मोहनजोदड़ो और पश्चिमी पंजाब में हड़प्पा में मिले हैं। इन खुदाइयों ने प्राचीन इतिहास की समझ में क्रांति ला दी है। मोहनजोदड़ो और हड़प्पा एक दूसरे से काफ़ी दूरी
भारत के अतीत की झाँकी बीते हुए सालों में मेरे मन में भारत ही भारत रहा है। इस बीच मैं बराबर उसे समझने और उसके प्रति अपनी प्रतिक्रियाओं का विश्लेषण करने की कोशिश करता रहा हूँ। मैंने बचपन की ओर लौटकर याद करने की कोशिश की कि मैं तब कैसा महसूस करता था, मेरे
अरब और मंगोल जब हर्ष उत्तर-भारत में एक शक्तिशाली साम्राज्य के शासक थे और विद्वान चीनी यात्री हुआन त्सांग नालंदा में अध्ययन कर रहे थे, उसी समय अरब में इस्लाम अपना रूप ग्रहण कर रहा था। भारत के मध्य भाग तक पहुँचने में इसे लगभग 600 वर्ष लग गए और जब उसने
राष्ट्रीयता बनाम साम्राज्यवाद मध्य वर्ग की बेबसी—गांधी का आगमन पहला विश्व युद्ध आरंभ हुआ। राजनीति उतार पर थी। इसका कारण था कांग्रेस का तथाकथित गरम दल और नरम दल में विभाजन और युद्ध-काल में लागू किए गए नियम और प्रतिबंध। अंततः विश्व युद्ध समाप्त
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