श्रीमान मैकॉले साहब,
आप मुझे नहीं जानते। जानेंगे भी कैसे? आपके और मेरे बीच वक़्त का फ़ासला बहुत ज़्यादा है। इसे घड़ी की सुइयों से नहीं नापा जा सकता। इस फ़ासले में काल के सैकड़ों भँवर हैं। इतिहास के म
प्रियंवद
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