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इतिहास पर बेला

06 जनवरी 2025

सिंधियों की पीड़ा का बयान

सिंधियों की पीड़ा का बयान

चलना जीवन है और चलते जाना इंसान होने की नियति है। समाजशास्त्र की मूल स्थापना है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। ‘सिमसिम’ के मुख्य पात्र के जीवन की कोख कहानी और उससे निर्मित स्वचेतना से लेखक पाता है क

26 दिसम्बर 2024

जातिगत गर्व और समानता का संघर्ष

जातिगत गर्व और समानता का संघर्ष

पत्रकार और अध्येता मनोज मिट्टा की तीसरी किताब ‘कास्ट प्राइड : बैटल फ़ॉर इक्वलिटी इन हिंदू इंडिया’ अप्रैल 2023 में प्रकाशित हुई है। इससे पहले उन्होंने 1984 के सिख विरोधी जनसंहार पर ‘When A Tree Shook D

15 दिसम्बर 2024

व्यक्ति से प्रकाश-स्तंभ बनने की यात्रा

व्यक्ति से प्रकाश-स्तंभ बनने की यात्रा

विचारहीनता ने आज जिस प्रकार तमाम राजनीतिक-सांस्कृतिक-साहित्यिक परिदृश्य को अपनी गिरफ़्त में ले लिया है, और भावनाओं के उकसावे को ही वैचारिक ताक़त का नाम दिया जाने लगा है, उससे यह बात और ज़्यादा पुष्ट होत

14 दिसम्बर 2024

नागरीप्रचारिणी सभा की मनोरंजन पुस्तकमाला

नागरीप्रचारिणी सभा की मनोरंजन पुस्तकमाला

अँग्रेज़ी की प्रसिद्ध पुस्तक के इस शीर्षक ने हिंदी में उस महान् मुहावरे को जन्म दिया; जिसके शब्द हैं : सादा जीवन उच्च विचार। यह किताब सन् 1897 में पहली बार प्रकाशित हुई थी और अँग्रेज़ी-साहित्य में इस

13 दिसम्बर 2024

जो बचा है वह है बस शब्दों का एक नगर

जो बचा है वह है बस शब्दों का एक नगर

मैं, पम्पा कम्पाना, हूँ इस कृति की रचयिता/ मैंने एक साम्राज्य का उत्थान और पतन देखा है/ अब उन्हें कैसे याद करता है कोई, उन राजाओं और उन रानियों को?/ अब वे बचे हैं बस शब्दों में/ वे थे तो थे विजेता या

25 नवम्बर 2024

दिल्ली के धड़कते दिल से गुज़रते हुए

दिल्ली के धड़कते दिल से गुज़रते हुए

किसी शहर का मुस्लिम इलाक़ा उस शहर की धड़कती हुई जगहों में से एक होता है, जहाँ आला दर्ज़े के शायरों, बावरचियों, हकीमों, दानिशमंदों, इबादतगुज़ारों से लेकर हर तरह के काम-धंधे वाले लोग मिलेंगे। चावड़ी बा

22 नवम्बर 2024

जीम अब्बासी के उपन्यास ‘सिंधु’ के बारे में

जीम अब्बासी के उपन्यास ‘सिंधु’ के बारे में

जीम अब्बासी सिंध (पाकिस्तान) के समकालीन लेखक हैं, जिन्होंने कुछ वर्ष पहले ही उर्दू में लिखना शुरू किया है। एक कहानी संग्रह ‘ज़र्द हथेली और दूसरी कहानियाँ’(2020), और दो उपन्यास ‘रक़्स-नामा’ (2023) और

10 नवम्बर 2024

कवि बनने के लिए ज़रूरी नहीं है कि आप लिखें

कवि बनने के लिए ज़रूरी नहीं है कि आप लिखें

‘बीटनिक’, ‘भूखी पीढ़ी’ और ‘अकविता’ क्या है, यह पहचानता हूँ, और क्यों है, यह समझता हूँ। इससे आगे उनपर विचार करना आवश्यक नहीं है। — अज्ञेय बीट कविता ने अमेरिकी साहित्य की भाषा को एक नया संस्कार दि

27 अक्तूबर 2024

मोहब्बत की फ़ेहरिस्त से ग़ायब मुमताज़-शाहजहाँ

मोहब्बत की फ़ेहरिस्त से ग़ायब मुमताज़-शाहजहाँ

ताजमहल के दीदार की मेरी कभी ख़्वाहिश ही नहीं हुई। इसमें ताजमहल की कोई ख़ता भी नहीं, बस हालात ज़रा ज़ालिम बनते गए और जब भी ताज का ज़िक्र आया तो मुँह का ज़ायक़ा कसैला हो गया। ज़िंदगी की पहली पारी का शुरुआती

02 अक्तूबर 2024

हे राम : दास्तान-ए-क़त्ल-ए-गांधी

हे राम : दास्तान-ए-क़त्ल-ए-गांधी

जिससे उम्मीदें-ज़ीस्त थी बाँधी ले उड़ी उसको मौत की आँधी गालियाँ खाके गोलियाँ खाके मर गए उफ़्फ़! महात्मा गांधी! — रईस अमरोहवी  एक दिल्ली में वह मावठ का दिन था। 30 जनवरी 1948 को दुपहर तीन बज

27 सितम्बर 2024

दारा शुकोह, मैनेजर पांडेय और कुछ झूठ

दारा शुकोह, मैनेजर पांडेय और कुछ झूठ

विश्वविद्यालयों में एक जुमला ख़ूब चलता है—“और भाई एमे, एम्फ़िल, जॉरगंस से निकल गए या वहीं फँसे हो।’’ मतलब यह कि नया विद्यार्थी ख़ूब भारी-भारी शब्द उछालना सीख जाता है। आजकल किसी भी किताब पर होने वाली च

20 सितम्बर 2024

महाभारत : वीरता के आवरण में

महाभारत : वीरता के आवरण में

उपनिवेशित समाजों पर अपनी क़ब्ज़ेदारी को न्यायोचित ठहराने के लिए उपनिवेशकों ने यह बहाना गढ़ा था कि इन समाजों में वैयक्तिक उत्कर्ष की लालसा नहीं है। न ही वे एक समुदाय के रूप में ख़ुद को गठित कर पाने में स

24 जून 2024

सूफ़ी आंदोलन के कुछ अनछुए पहलू

सूफ़ी आंदोलन के कुछ अनछुए पहलू

सन्यासी फ़क़ीर विद्रोह के नायक बाबा मजनू शाह आज़ादी के लिए देश में कई लड़ाईयाँ लड़ी गई हैं और कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दिया है। इतिहास में दर्ज पहला स्वाधीनता संग्राम फ़क़ीर-सन्यासी वि

01 जून 2024

रिचर्ड एटनबरो की ‘गांधी’ और दूसरे प्रसंग

रिचर्ड एटनबरो की ‘गांधी’ और दूसरे प्रसंग

‘‘महानतम कृत्य अपनी चमक खो देते हैं, अगर उन्हें शब्दों में न बाँधा जाए। क्या तुम स्वयं को ऐसा उद्यम करने के योग्य समझते हो, जो हम दोनों को अमर बना दे।’’ संसारप्रसिद्ध कहानीकार होर्हे लुई बोर्हेस की इ

29 मई 2024

सआदत हसन मंटो के नाम

सआदत हसन मंटो के नाम

सरहद, भारत-पाकिस्तान 2024 मंटो, पहले अज़ीज़ लिखूँ या आदाब, यहीं मात खा गया। ज़ाहिर है प्रोज़ में आपका मुक़ाबला कर पाना, मेरे बस के और बस के कंडक्टर के—दोनों के बाहर है। आज आपकी सालगिरह है। आपको जा