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जीवन पर बेला

जहाँ जीवन को स्वयं कविता

कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।

21 नवम्बर 2024

मैं पृथ्वी से बिछुड़ गया था : कविता की हवा को ताज़गी से भरता संग्रह

मैं पृथ्वी से बिछुड़ गया था : कविता की हवा को ताज़गी से भरता संग्रह

इधर रुस्तम का नया कविता-संग्रह ‘मैं पृथ्वी से बिछुड़ गया था’ (संभावना प्रकाशन) सामने आया है। रुस्तम के काव्य-संसार में प्रवेश से पहले रिलेक्स होना ज़रूरी है, क्योंकि वह जीवन की आपाधापी के कवि नहीं है

17 नवम्बर 2024

‘शीशै’ को ‘शुक्रिया’ में बदलते हुए

‘शीशै’ को ‘शुक्रिया’ में बदलते हुए

साल 2015 में जब मैं ताइवान पहुँचा था तो बहुत रोया था। मेरा मन इस क़दर भटकता था कि मैं वहाँ पहुँचने के चार दिन बाद ही यह जान लेना चाहता था कि मैं कब भारत वापस आ पाऊँगा। लेकिन अब जब मैं ताइवान से लौट र

09 नवम्बर 2024

बंजारे की चिट्ठियाँ पढ़ने का अनुभव

बंजारे की चिट्ठियाँ पढ़ने का अनुभव

पिछले हफ़्ते मैंने सुमेर की डायरी ‘बंजारे की चिट्ठियाँ’ पढ़ी। इसे पढ़ने में दो दिन लगे, हालाँकि एक दिन में भी पढ़ी जा सकती है। जो किताब मुझे पसंद आती है, मैं नहीं चाहती उसे जल्दी पढ़कर ख़त्म कर दूँ; इसलिए

15 अक्तूबर 2024

महाप्राण निराला की आख़िरी तस्वीरें

महाप्राण निराला की आख़िरी तस्वीरें

महाप्राण! आज 15 अक्टूबर है। महाप्राण निराला की पुण्यतिथि। 1961 की इसी तारीख़ को उनका निधन हुआ था। लेकिन निराला अमर हैं। उनका मरणोत्तर जीवन अमिट है। उनकी शहादत अमर है। उनका अंत नहीं हो सकता। उन्ह

06 अक्तूबर 2024

'बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला...'

'बाद मरने के मेरे घर से यह सामाँ निकला...'

यह दो अक्टूबर की एक ठीक-ठाक गर्मी वाली दोपहर है। दफ़्तर का अवकाश है। नायकों का होना अभी इतना बचा हुआ है कि पूँजी के चंगुल में फँसा यह महादेश छुट्टी घोषित करता रहता है, इसलिए आज मेरी भी छुट्टी है। मेर

05 अक्तूबर 2024

ईमानदार CA से मेल एस्कॉर्ट तक का सफ़र

ईमानदार CA से मेल एस्कॉर्ट तक का सफ़र

संघर्ष, विद्रोह और समाजवाद की सिनेमाई यात्रा : नेटफ़्लिक्स सीरीज़ त्रिभुवन मिश्रा सीए टॉपर आधुनिक भारतीय मनोरंजन की भीड़-भाड़ में, नेटफ़्लिक्स की सीए टॉपर एक ऐसी सिनेमाई रचना के रूप में उभरती है,

30 सितम्बर 2024

यों याद किए गए नवीन सागर

यों याद किए गए नवीन सागर

गत शुक्रवार, 27 सितंबर को हौज़ ख़ास विलेज, नई दिल्ली में ‘नवीन सागर स्मृति रचना समारोह’ का पहला आयोजन हुआ। मेरी नज़र में बीते कई सालों में हिंदी-संसार में हो रहे आयोजनों में ऐसा कोई आयोजन हुआ या होता

29 सितम्बर 2024

एंग्री यंग मैन : सलीम-जावेद की ज़िंदगी के अनछुए अध्याय

एंग्री यंग मैन : सलीम-जावेद की ज़िंदगी के अनछुए अध्याय

नम्रता राव द्वारा निर्देशित अमेज़न प्राइम डाक्यूमेंट्री सीरीज़ ‘एंग्री यंग मैन’ मशहूर पटकथा लेखक जोड़ी—सलीम ख़ान और जावेद अख़्तर के जीवन की एक खोज है, जिनके सहयोग ने 1970 और 80 के दशक में हिंदी-सिनेम

26 सितम्बर 2024

नया साल और कोरोना का वो उदास मौसम...

नया साल और कोरोना का वो उदास मौसम...

दूसरी कड़ी से आगे... 30 दिसंबर, नोज़ोमु के घर नोज़ोमु का मैसेज आया है, हमें 1 बजे स्टेशन के लिए निकलना है। मैं अपने छोटे से सूटकेस में सामान रख रही हूँ। हम ओइता और बेप्पू जा रहे हैं। ओइता में नोज़

25 सितम्बर 2024

जीवन की कविता और कविता का जीवन

जीवन की कविता और कविता का जीवन

सबसे पहले तो यही स्पष्ट कर देना यहाँ ज़रूरी है कि यह उद्भ्रांत की प्रतिनिधि कविताओं का संचयन नहीं है। उनकी प्रतिनिधि व चर्चित कविताओं के कई संकलन इससे पहले ही प्रकाशित हो चुके हैं, उनकी काव्य संचयिता

24 सितम्बर 2024

नवीन सागर को याद करेंगे कवि-प्रशंसक-प्रियजन

नवीन सागर को याद करेंगे कवि-प्रशंसक-प्रियजन

इस शुक्रवार यानी 27 सितंबर 2024 की शाम हौज़ ख़ास विलेज (नई दिल्ली) में हिंदी के एक अनूठे कवि-लेखक नवीन सागर [1948-2000] की स्मृति में एक रचना-समारोह आयोजित किया जा रहा है। इस समारोह में रामकुमार तिवारी

16 सितम्बर 2024

जापान डायरी : एक शहर अपने आर्किटेक्चर से नहीं लोगों से बनता है

जापान डायरी : एक शहर अपने आर्किटेक्चर से नहीं लोगों से बनता है

पहली कड़ी से आगे... जनवरी 2020 यह मेरी सर्दी की छुट्टियों की पहली किश्त है। आशा है दूसरी किश्त को लिखने में इतना समय नहीं लूँगी। कल ओसाका की फ्लाइट है, हमें सुबह 8 बजे निकलना है। मैं खाने की

15 सितम्बर 2024

क़ुबूलनामा : एक एंबुलेंस ड्राइवर का

क़ुबूलनामा : एक एंबुलेंस ड्राइवर का

डिस्क्लेमर :  क़ुबूलनामा शृंखला में प्रस्तुत लेखों में वर्णित सभी पात्र, कहानियाँ, घटनाएँ और स्थान काल्पनिक हैं; जो किसी भी व्यक्ति, समूह, समाज, सरकारी-ग़ैरसरकारी संगठन और अधिकारियों से कोई संबंध न

29 अगस्त 2024

इस संसार की सुंदरता स्त्रियों के कंधे पर ही है

इस संसार की सुंदरता स्त्रियों के कंधे पर ही है

नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (National School of Drama) 23 अगस्त से 9 सितंबर 2024 के बीच हीरक जयंती नाट्य समारोह आयोजित कर रहा है। यह समारोह एनएसडी रंगमंडल की स्थापना के साठ वर्ष पूरे होन

28 अगस्त 2024

राजेंद्र यादव का साहित्य लोग भूल जाएँगे, उन्हें नहीं

राजेंद्र यादव का साहित्य लोग भूल जाएँगे, उन्हें नहीं

उम्र के जिस पड़ाव पर ढेर सारे लोगों के आध्यात्मिक होते जाने के क़िस्से सुनाई देने लगते हैं, जीवन के उसी मक़ाम पर राजेंद्र यादव के प्रेम-संबंधों की अफ़वाहें लोग चटकारे लेकर एक-दूसरे से सुन-सुना रहे थे।

23 अगस्त 2024

उन सबके नाम, जिन्होंने मुझसे प्रेम करने की कोशिश की

उन सबके नाम, जिन्होंने मुझसे प्रेम करने की कोशिश की

मैं तब भी कुछ नहीं था, और आज भी नहीं, लेकिन कुछ तो तुमने मुझमें देखा होगा कि तुम मेरी तरफ़ उस नेमत को लेकर बढ़ीं, जिसकी दुहाई मैं बचपन से लेकर अधेड़ होने तक देता रहा। कहता रहा कि मुझे प्यार नहीं मिला, न

19 अगस्त 2024

जो रेखाएँ न कह सकेंगी

जो रेखाएँ न कह सकेंगी

एक युग बीत जाने पर भी मेरी स्मृति से एक घटा भरी अश्रुमुखी सावनी पूर्णिमा की रेखाएँ नहीं मिट सकी हैं। उन रेखाओं के उजले रंग न जाने किस व्यथा से गीले हैं कि अब तक सूख भी नहीं पाए—उड़ना तो दूर की बात है

08 अगस्त 2024

सिद्धेश्वरी : मौन और ध्वनि की एक सिम्फ़नी

सिद्धेश्वरी : मौन और ध्वनि की एक सिम्फ़नी

मणि कौल की फ़िल्म ‘सिद्धेश्वरी’ 1989 में बनी एक डॉक्यूमेंट्री है, जो प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका सिद्धेश्वरी देवी के जीवन और कला पर आधारित है। सिद्धेश्वरी देवी भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक म

06 अगस्त 2024

मुझे यक़ीन है कि अब वह कभी लौटकर नहीं आएँगे

मुझे यक़ीन है कि अब वह कभी लौटकर नहीं आएँगे

तड़के तीन से साढ़े तीन बजे के बीच वह मेरे कमरे पर दस्तक देते, जिसमें भीतर से सिटकनी लगी होती थी। वह मेरा नाम पुकारते, बल्कि फुसफुसाते। कुछ देर तक मैं ऐसे दिखावा करता, मानो मुझे कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा हो

06 अगस्त 2024

संवेदना न बची,  इच्छा न बची, तो मनुष्य बचकर क्या करेगा?

संवेदना न बची, इच्छा न बची, तो मनुष्य बचकर क्या करेगा?

24 जुलाई 2024 भतृहरि ने भी क्या ख़ूब कहा है— सर्वे गुणाः काञ्चनमाश्रयन्ति।।  अर्थात् : जिसके पास धन है, वही गुणी है; या यह भी कि सभी गुणों के लिए धन का ही आसरा है।  बताइए, क्या यह आज भी सच

24 जुलाई 2024

शिमला डायरी : काई इस शहर की सबसे आदिम पहचान है

शिमला डायरी : काई इस शहर की सबसे आदिम पहचान है

10 जुलाई 2024 सुशील जी का घर, मुखर्जी नगर। नेताजी एक्सप्रेस लेट है। उनके साथ खाना खाता हूँ। वह टिफ़िन बाँध देते हैं। पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उमस। स्लीपर में बीच वाली सीट। ले गर्मी, दे गर्मी।

19 जुलाई 2024

क़ुबूलनामा : एक ड्रग पैडलर का

क़ुबूलनामा : एक ड्रग पैडलर का

डिस्क्लेमर :  यहाँ प्रस्तुत लेख में वर्णित सभी पात्र, कहानियाँ, घटनाएँ और स्थान काल्पनिक हैं; जो किसी भी व्यक्ति, समूह, समाज, सरकारी-ग़ैरसरकारी संगठन और अधिकारियों से कोई संबंध नहीं रखते हैं। यह ल

10 जुलाई 2024

आजकल लोग पैदा नहीं होते अवतरित होते हैं

आजकल लोग पैदा नहीं होते अवतरित होते हैं

सोचता हूँ कुछ लिखूँ पर लिखने के उत्साह पर अवसाद भारी है। ~ भाषा का बुनियादी ताना-बाना शब्दों से कहीं अधिक प्रयोगों से निर्मित होता है। आजकल लोग पैदा नहीं होते अवतरित होते हैं। वाक्यों में दो क्

26 जून 2024

विरह राग में चंद बेतरतीब वाक्य

विरह राग में चंद बेतरतीब वाक्य

महोदया ‘श’ के लिए  एक ‘स्त्री दुःख है।’ मैंने हिंदी समाज में गीत चतुर्वेदी और आशीष मिश्र की लोकप्रिय की गई पतली-सुतली सिगरेट जलाते हुए एक सुंदर फ़ेमिनिस्ट से कहा और फिर डर कर वाक्य बदल दिया—

11 जून 2024

सबसे सुंदर होते हैं वे चुम्बन जो देह से आत्मा तक का सफ़र करते हैं

सबसे सुंदर होते हैं वे चुम्बन जो देह से आत्मा तक का सफ़र करते हैं

अंतिम यात्रा लौट आने के लिए नहीं होती। जाने क्या है उस नगर जो जाने वाला आता ही नहीं! (आना चाहता है या नहीं?) सब जानते हुए भी—उसको गए काफ़ी वक़्त गुज़रा पर— उसकी चीज़ें जहाँ थीं, वहाँ से अब तक नहीं

03 जून 2024

जीवन के गरिष्ठ सुक्खल गल्प में बेहयाई की रसीली बहक

जीवन के गरिष्ठ सुक्खल गल्प में बेहयाई की रसीली बहक

एक दिन मेरी एक लगभग-मित्र ने कहा कि उसने ‘बेहयाई के बहत्तर दिन’ पहली सिटिंग में पचास पेज पढ़ ली। मैं लज्जा से अपना मुँह चोरवाने लगा कि दो महीने बाद भी किताब पूरी नहीं पढ़ पाया हूँ, जबकि झोले में किताब-

24 मई 2024

पंजाबी कवि सुरजीत पातर को याद करते हुए

पंजाबी कवि सुरजीत पातर को याद करते हुए

एक जब तक पंजाबी साहित्य में रुचि बढ़ी, मैं पंजाब से बाहर आ चुका था। किसी भी दूसरे हिंदी-उर्दू वाले की तरह एक लंबे समय के लिए पंजाबी शाइरों से मेरा परिचय पंजाबी-कविता-त्रय (अमृता, शिव और पाश) तक सी

22 मई 2024

सौ के साही : कार्यक्रम का यू-ट्यूब देखा हाल

सौ के साही : कार्यक्रम का यू-ट्यूब देखा हाल

वरिष्ठता कभी-कभी बहुत ऊब और थकान महसूस कराती है। कुछ ऐसा ही 1 मई 2024 को दिल्ली विश्वविद्यालय के शहीद भगत सिंह महाविद्यालय हिंदी-विभाग द्वारा आयोजित आग़ाज़-ए-वैखरी के कार्यक्रम से प्रतीत हुआ। यह का

20 मई 2024

संगीत, प्यार और दर्द से बुना गया एक उपन्यास

संगीत, प्यार और दर्द से बुना गया एक उपन्यास

“इतने साल पहले मेरे साथ क्या हुआ था? मुझे प्यार मिले या न मिले, मैं उस शहर में बना नहीं रह सकता था। मैंने ठोकर खाई, मेरा दिमाग़ ठस हो गया, मुझे अपनी हर साँस बोझ लगने लगी। मैंने उससे कह दिया कि मैं जा

19 मई 2024

‘मसरूफ़ औरत’ के बारे में

‘मसरूफ़ औरत’ के बारे में

कला-साहित्य से जुड़ी दुनिया की बात करें तो हर युग में व्यक्तिगत स्तर पर सृजन करने वालों की तुलना में युग-निर्माताओं की तादाद हमेशा कम रही है। युग-निर्माताओं से मेरी मुराद ऐसे लोगों से है जिन्होंने के

17 मई 2024

सोडा, बन-मस्का और वाल्टर बेन्यामिन

सोडा, बन-मस्का और वाल्टर बेन्यामिन

सोडा और बन-मस्का  पुणे के कैंप इलाक़े में साशापीर रोड पर एक कम प्रचलित शरबतवाला चौक है। शरबत अरबी शब्द है, शराब भी इसी से निकला है। शरबतवाला चौक पर 1884 में फ़्लेवर्ड सोडा कंपनी की शुरुआत हुई। पुणे

16 मई 2024

एलिस मुनरो की कहानी से

एलिस मुनरो की कहानी से

मेरी माँ मेरे लिए एक पोशाक बना रही थी। पूरे नवंबर के महीने में जब मैं स्‍कूल से आती तो माँ को रसोईघर में ही पाती। वह कटे हुए लाल मख़मली कपड़ों और टिश्‍यू पेपर डिज़ाइन की कतरनों के बीच घिरी हुई नज़र आत

16 मई 2024

'उम्र हाथों से रेत की तरह फिसलती रहती है और अतीत का मोह है कि छूटता ही नहीं'

'उम्र हाथों से रेत की तरह फिसलती रहती है और अतीत का मोह है कि छूटता ही नहीं'

हिंदी की समादृत साहित्यकार मालती जोशी का बुधवार, 15 मई को 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वर्ष 2018 में साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वह लगभग 70

08 मई 2024

रवींद्रनाथ ने कहा है कि...

रवींद्रनाथ ने कहा है कि...

हमारे गाँव में और कुछ हो या न हो, कुछ मिले न मिले... पर रवींद्रनाथ थे। वह थे और वह पूरी तरह से घर के आदमी थे। घरवाले वही होते हैं जिन्हें देखकर भी हम अनदेखा करते हैं, जिन्हें सोचकर भी हम नहीं सोचते य

04 मई 2024

जिसका अपना कोई रहस्य नहीं होता, उसे दूसरों के रहस्यों में बहुत रुचि होती है

जिसका अपना कोई रहस्य नहीं होता, उसे दूसरों के रहस्यों में बहुत रुचि होती है

सावधानी का केवल एक क्षण होता है, जहाँ आप रुक सकते हैं।  ~~~ अगर मैं आपसे कहूँ कि मानव दौड़ की भाषा ही औसत दर्जे का प्रयास है तो? शब्द, रचनाएँ, साहित्य सब कुछ क्या यह अभिव्यक्ति का सबसे औसत दर्ज

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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