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जीवन पर कवितांश

जहाँ जीवन को स्वयं कविता

कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।

मैं मरूँगा दो बार

एक बार प्रेम में

दूसरी बार जीवन में मरूँगा।

नवीन रांगियाल

मनुष्य का मोह

जिस-जिससे छूटेगा

वह उनसे होने वाले

दु:ख से सदा मुक्त रहेगा

तिरुवल्लुवर

सज्जनों को दिन;

दिखाई पड़ता है

आरी के दाँत के समान दुर्दांत

जो हमारी आयु को—

चीर रहा है धीरे-धीरे

तिरुवल्लुवर
  • संबंधित विषय : समय

ख़ुद भी लाभ उठाए बिना

और योग्य व्यक्तियों को दान दिए बग़ैर

जीने वाला व्यक्ति

संपत्ति के लिए रोग बन जाता है

तिरुवल्लुवर