जीवन पर पत्र
जहाँ जीवन को स्वयं कविता
कहा गया हो, कविता में जीवन का उतरना अस्वाभाविक प्रतीति नहीं है। प्रस्तुत चयन में जीवन, जीवनानुभव, जीवन-संबंधी धारणाओं, जीवन की जय-पराजय आदि की अभिव्यक्ति देती कविताओं का संकलन किया गया है।
रामविलास शर्मा के पत्र केदारनाथ के नाम
(1) 58, नारियल वालीगलीलखनऊ, 21-7-35 प्रिय भाई केदार, तुम्हारा कार्ड मिला। यथावकाश निराला जी को लेकर पं. शुकदेवबिहारी जी मिश्र के यहाँ कल सायंकाल गया था। निराला जी के लिखाए लेख पर उन्होंने हस्ताक्षर कर दिए हैं। पहले वाक्य पर उन्होंने आपत्ति की थी कि